56 में 35 नलकूप खराब, मुश्किलें बेहिसाब
गोंडा: रबी फसल की बोआई के लिये अन्नदाता खेतों की ¨सचाई को लेकर हलकान हैं। इलाके राजकीय नलकूप अलग-अलग
गोंडा: रबी फसल की बोआई के लिये अन्नदाता खेतों की ¨सचाई को लेकर हलकान हैं। इलाके राजकीय नलकूप अलग-अलग कारणों से ठप हैं। इन नलकूपों की मरम्मत न होने से किसान परेशान हैं।
बताते चलें कि क्षेत्र में 56 राजकीय नलकूप लगे हैं। इनमें से 18 यांत्रिक दोष व 17 विद्युत दोष के चलते बंद पड़े हैं। मनकापुर, भिटौरा, बक्सरा आज्ञाराम, बंदरहा, लक्ष्मनपुर, अशरफपुर, वरामापुर आदि गांवों में राजकीय नलकूप विश्वबैंक के तहत संचालित हैं। इनकी मदद से सैकडों हेक्टेयर भूमि की ¨सचाई की जाती है। रबी की बोआई से पूर्व खराब पड़े इन नलकूपों को कोई पूछने वाला नहीं है। ¨सचाई विभाग के अधिकारी नलकूपों की स्थिति के बारे में शासन को भ्रामक रिपोर्ट दे चुके हैं। लेकिन सच्चाई कुछ अलग है। बरसात में किसानों की खरीफ फसल धान की अच्छी फसल ¨सचाई के अभाव में सूख गई। जिससे धान उत्पादन काफी प्रभावित हुआ। खरीफ की फसल किसानों की कमर तोड़ चुकी है। किसान जैसे-तैसे आलू, मटर, सरसों की फसल बो दिए हैं, लेकिन गेहूं की बोआई नहीं हो पा रही है। कारण राजकीय नलकूपों की खराबी व नहरों में पानी न छोड़ा जाना है। बैरीपुर गांव के किसान प्रदीप तिवारी का कहना है कि यदि समय से गेहूं ¨सचाई नहीं हुई तो फसल उत्पादन में कमी आएगी। भिटौरा गांव के आमोद ¨सह का कहना है कि यदि ¨सचाई के अभाव में दिसंबर में बोआई नहीं हो पायी तो निश्चित ही फसल कमजोर व खराब हो जाएगी।
धुसवा गांव निवासी राकेश तिवारी का कहना है कि प्रशासन को खराब पड़े नलकूपों को ठीक कराना चाहिए, जिससे समय पर ¨सचाई हो सके। मिर्जापुर रामनाथ गांव निवासी गुल्लू वर्मा का कहना है कि शासन द्वारा
किसानों को सुविधा मुहैया करायी जाती है, मगर स्थानीय प्रशासन द्वारा सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया जाता है।