बीवी को इलाज की दरकार, बेटी को बेचने को तैयार
गोंडा: इसे गरीबी कहें या फिर समय की मार। प्रसव के बाद अस्पताल में भर्ती पत्नी के इलाज के लिए भटक रहे
गोंडा: इसे गरीबी कहें या फिर समय की मार। प्रसव के बाद अस्पताल में भर्ती पत्नी के इलाज के लिए भटक रहे पति के पास अब एक पैसा नहीं है। वह एक दूसरे से मदद मांग रहा है। हर ओर से निराशा मिल रही है। ऐसे में अब उसने नवजात बालिका को बेचने का निर्णय लिया है। उसका कहना है कि पत्नी के इलाज के लिए जो भी उसे पैसा देगा, उसे वह अपनी बिटिया को दे देगा।
मामला कुछ यूं है। कानपुर के रहने वाले राजेश कुमार पांडेय पेशे से राजगीर है। वह गोंडा जिले के कर्नलगंज के सकरौरा में एक किराए के मकान में पत्नी के साथ रह रहे थे। करीब बीस दिनों पहले उन्होंने अपनी पत्नी संजना को प्रसव के लिए एक निजी अस्पताल ले गए। जहां आपरेशन से कराए गए प्रसव में बालिका ने जन्म लिया। यहां पर करीब 22 हजार फीस बनी। किसी तरह से उसने इंतजाम करके 13 हजार रुपये जमा किए हैं। शेष पैसा बकाया है। उसके बाद उनकी पत्नी की हालत बिगड़ गई। कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद वह उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। यहां पर सर्जन की निगरानी में उसका इलाज शुरू हुआ। मरीज को इंफेक्शन होने के कारण दर्द अधिक है। ऐसे में उसकी हालत खराब होती जा रही है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि इलाज किया जा रहा है।
बच्चे को कहां से दिलाएं दूध
- बकौल राजेश, अब उसके पास चाय के लिए पैसा तक नहीं है। वह कहते हैं कि अभी तक दवाएं तो यहां से मिल जा रही है लेकिन बच्चों के लिए दूध कहां से लाएं। उसके साथ एक तीन साल का बेटा व बीस दिन की एक बिटिया है। वह कभी बच्चों को निहारता है तो कभी आने जाने वालों को। किसी तरह से वह बच्चों को समझा रहा है। यही नहीं, उसका कहना है कि जिन लोगों से उसने अपत्नी के इलाज के लिए पैसे मांगे थे, वह भी अब तकादा कर रहे हैं।
अब एक ही सहारा
- राजेश का कहना है कि पत्नी का इलाज कराने के लिए उसने नवजात बिटिया को ऐसे शख्स को देने का निर्णय लिया है, जो उनकी पत्नी के इलाज के लिए उनकी मदद कर सके। एक लोगों से उनकी बात हुई है, जिनके माध्यम से कानपुर का रहने वाला एक दंपती गोद लेने के लिए तैयार है। उसका कहना है कि अब उसके पास और कोई चारा नहीं है।