स्वच्छता के 'मंत्र' ने रोशन कर दिए गांव
गोंडा : सिस्टम पुराना, लोग वही। लेकिन एक सोच ने पूरे गांव की तस्वीर बदल दी। कहने को तो हर गांव में श
गोंडा : सिस्टम पुराना, लोग वही। लेकिन एक सोच ने पूरे गांव की तस्वीर बदल दी। कहने को तो हर गांव में शौचालय बने, लेकिन स्वच्छता की खुशबू ने गांव की तरक्की के दरवाजे खोल दिए। तरबगंज के एक गांव में जलाई गई स्वच्छता की रोशनी ने एक नहीं बल्कि सात गांवों को रोशन कर दिया। इन गांवों में रहने वाली करीब दस हजार आबादी अपने घरों में बने शौचालय का उपयोग कर रही है। ये काम किसी एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि प्रधान की अगुवाई में जनता ने खुद कर दिखाया। एक रिपोर्ट:
मजदूर दिवस पर जली थी रोशनी
-स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का संचालन शुरू तो हुआ था, लेकिन जागरूकता के अभाव में लोगों की दिलचस्पी नहीं थी। एक मई 2015 को तत्कालीन डीपीआरओ आरएस चौधरी ने तरबगंज ब्लॉक के ग्राम पंचायत खानपुर में जागरूकता गोष्ठी की थी, इसके बाद गांव में लोगों ने शौचालय का निर्माण बिना सरकारी मदद मिले ही शुरू कर दिया था। वक्त पर प्रोत्साहन राशि मिलने से गदगद लोगों ने इसे एक मिशन बना लिया। प्रधान ने मिशन की अगुवाई किया तो जनता ने भी गांव को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। नतीजा ये रहा कि जिले के सात गांव निर्मल हो गए।
ये गांव हुए खुले में शौचमुक्त
-विकासखंड तरबगंज की ग्राम पंचायत खानपुर, विकासखंड परसपुर की ग्राम पंचायत मिझौरा, विकासखंड हलधरमऊ का राजस्व ग्राम पूरेसंगम, बभनजोत में सैदापुर व बकुईबुजुर्ग, कटराबाजार में कुकुदेवरा व मनकापुर में राजस्व ग्राम अगया।
स्वच्छता दूत कर रहे निगरानी
-खुले में शौचमुक्त हुए गांवों में निगरानी के लिए ग्राम पंचायत ने स्वच्छता दूत नामित कर रखे हैं। जिसमें बच्चों, युवाओं व महिलाओं की अलग-अलग टीमें बनाई गई है। पंचायत ने टीम के सदस्यों को टॉर्च, सीटी के साथ ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। स्वच्छता दूत सुबह व शाम निगरानी करते हैं।
'स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत जिले की दो ग्राम पंचायतें व पांच राजस्व गांव खुले में शौचमुक्त हो चुके हैं। मंडलीय समिति ने इन गांवों को ओडीएफ गांव के रूप में अपनी स्वीकृति दे दी है। ये जिले के लिए गौरव की बात है।'
-अभय प्रताप ¨सह रमन, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन