मानव कल्याण ही है विश्व कल्याण की आधारशिला
गोंडा: धम्म सामाजिक वस्तु है। धम्म का मतलब शील और सदाचरण की पवित्रता बनाये रखना है। मन, कर्म एवं वचन
गोंडा: धम्म सामाजिक वस्तु है। धम्म का मतलब शील और सदाचरण की पवित्रता बनाये रखना है। मन, कर्म एवं वचन की पवित्रता बनाये रखना धम्म है। धम्म ज्ञान, विज्ञान, तथ्य-तर्क एवं प्रमाण पर आधारित है। इससे ही विश्व का कल्याण एवं विश्व बंधुता का सपना साकार हो सकता है।
यह बात सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के तुलसी सभागार में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ भंते विमल सागर ने कही। मास के राष्ट्रीय महासचिव एके नंद ने कहा कि सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिवर्तन के बिना सामाजिक परिवर्तन अर्थहीन है। बौद्ध दर्शन जहां मानव को अज्ञान एवं अंधविश्वास से मुक्त कराता है वहीं आत्मनिर्भर बनने की शक्ति और दूसरे लोगों के साथ करूणा और बंधुता का व्यवहार करने की शिक्षा भी देता है। मानव कल्याण ही विश्व कल्याण की आधारशिला है।
अध्यक्षता करते हुए महादेव बौद्ध ने कहा कि लोक सुखमय संदेश समता, करूणा, प्रज्ञा, प्यार, मैत्री, बंधुता, शांति की भावना बौद्ध धम्म की विशिष्टता है, जिससे पूरी दुनिया अपना कल्याण बौद्ध धम्म में देखती है। इसका आधार पूरी तरह से वैज्ञानिक, तर्कपूर्ण एवं मानव कल्याणकारी विचार है। विशिष्ट अतिथि बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राम लखन ने कहा कि मानव को मानव का दर्जा दिलाने का कार्य बौद्ध दर्शन से ही संभव है। राम कुमार नवीन, राज किशोर मौर्य ने गीतों एवं गजलों के माध्यम से बौद्ध दर्शन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश सचिव राकेश कुमार विश्वकर्मा ने किया। इस मौके पर राम लौटन, अशर्फी लाल मौर्य, राम मूरत बौद्ध, शिव कुमारी, गरिमा नंदा, ¨रकू गौतम, गीता विश्वकर्मा, किरन बौद्ध, पवन कुमार, केके विश्वकर्मा सहित अन्य ने विचार व्यक्त किया।