आबादी पचास हजार, स्वास्थ्य सुविधाएं लाचार
गोंडा: माझा क्षेत्र की पचास हजार से अधिक आबादी को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी संभालने वाले रांगी प्राथ
गोंडा: माझा क्षेत्र की पचास हजार से अधिक आबादी को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी संभालने वाले रांगी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत खराब है। झाड़-झंखाड़ से घिरे इस अस्पताल की फिक्र न अस्पताल प्रशासन को है न ही जन प्रतिनिधियों को। लिहाजा माझा क्षेत्र में स्थापित इस अस्पताल में मरीजों की संख्या नगण्य है। वहीं उपचार की आस पूरी तरह बेमानी।
इस अस्पताल की स्थापना क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रमापति शास्त्री के प्रयासों से 22 दिसंबर 2001 को हुई थी। तब माझा क्षेत्र के साखीपुर, दत्तनगर, गोकुला, बनगांव, बेंउदा, गोपसराय समेत दो दर्जन से अधिक गांवों के लोगों को उम्मीद बनी थी कि अब इलाज के लिए नवाबगंज, तरबगंज के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। लेकिन यह उम्मीद धरातल तक अब तक नहीं पहुंच पाई है। तरबगंज सीएचसी क्षेत्र में आने वाले इस अस्पताल की ओर न डॉक्टर रुख करना चाहते हैं, न ही जिले के स्वास्थ्य महकमे के आला हाकिम। अस्पताल परिसर में लगी झाड़ियां व्यवस्था की पोल खेल रही हैं। टंकी लगे डेढ़ दशक बीत गया, लेकिन पानी की एक बूंद अब तक नहीं निकली है। डाक्टर की तैनाती लंबे समय से नहीं है। यहां पर फार्मासिस्ट के रूप में दिवाकर की तैनाती है। वार्ड ब्वाय शैलेंद्र तिवारी हैं। चपरासी रामदीन को सीएचसी अधीक्षक डॉ. नीरज कुमार ने तरबगंज संबद्ध कर रखा है। यहां पर फार्मासिस्ट नदारद थे। महज वार्डब्वाय शैलेंद्र ही मौजूद मिले। दवाएं उपलब्ध हैं या नहीं, इस सम्बन्ध में वह कोई जानकारी नहीं दे सके। महज पांच मरीजों की ओपीडी हुई थी। जिन्हें वार्डब्वाय ने दवाएं देने का दावा किया। ऐसे में मरीज का इलाज बगैर परीक्षण के ही नीम हकीम खतरा-ए जान की तर्ज पर चल रहा है। रात्रि में यहां पर कोई निवास ही नहीं करता। परिसर में अब तक बिजली भी नहीं लगी है। पूरे कैंपस में झाड़-झंखाड़ का साम्राज्य है। कुल मिलाकर माझा क्षेत्र का यह अस्पताल खुद बीमार है। जिसकी फिक्र न जनप्रतिनिधियों को है। न ही तरबगंज सीएचसी अधीक्षक ही इधर ध्यान देना चाहते हैं। इस संबंध में सीएचसी तरबगंज अधीक्षक डॉ. नीरज कुमार का कहना है कि वह औचक निरीक्षण कर कार्रवाई करेंगे।