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माध्यमिक शिक्षा बेहाल, संसाधनों का अकाल

गोंडा: नाम बड़े और दर्श छोटे की कहावत माध्यमिक कॉलेजों की कहानी खुद ब खुद बयां कर रही है। वर्ष 1964

By Edited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 12:05 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 12:05 AM (IST)
माध्यमिक शिक्षा बेहाल, संसाधनों का अकाल

गोंडा: नाम बड़े और दर्श छोटे की कहावत माध्यमिक कॉलेजों की कहानी खुद ब खुद बयां कर रही है। वर्ष 1964 में स्थापित राजकीय बालिका इंका मसकनवां में छह शिक्षक ही कार्यरत हैं। कमरों की कमी के कारण प्रयोगशालाओं में कक्षाएं चलाई जा रहीं हैं। पेयजल के नाम पर बच्चे दूषित पानी पीने को विवश है। शौचालयों की स्थिति जर्जर है। राजकीय बालिका उमावि बस्ती भी संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। लैब तो बना हुआ है लेकिन कंप्यूटर ही नहीं है। खेल मैदान पर 11 हजार एचटी की लाइन का साया है। अधिकारी बेहतर शैक्षिक माहौल विकसित करने का दावा कर रहे हैं।

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तस्वीर एक - राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मसकनवां

शिक्षकों की कमी

- इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1964 में हुई थी। मकसद था कि बेटियों को बेहतर शिक्षा मिल सके। इसके लिए यहां पर प्रवक्ता के नौ पद सृजित किए गए जिसमें मात्र जीव विज्ञान व शिक्षा शास्त्र के ही दो प्रवक्ता तैनात है। शेष ¨हदी, अंग्रेजी, समाजशास्त्र, गृह विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, इतिहास विषय के प्रवक्ता ही नहीं है। एलटी ग्रेड के 13 स्वीकृत पदों के सापेक्ष सिर्फ चार की ही तैनाती है। यहां पर ¨हदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गृह विज्ञान, गणित, विज्ञान, जीव विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा, उर्दू विषय के शिक्षक नहीं है। बावजूद परीक्षाफल बेहतर होने का दावा कॉलेज प्रशासन कर रहा है।

कमरे ही नहीं

- जीजीआइसी में छात्राओं के बैठने के लिए कमरे तक नहीं है। यहां जूनियर विद्यालय स्तर के मानकों पर कमरे नहीं है। कमरों की कमी के कारण यहां पर छात्राओं की पढ़ाई लैब में हो रही है। यही नहीं विद्यालय भवन भी पूरी तरह से जर्जर है जिसके कारण हल्की सी बारिश में ही छतें टपकने लगती हैं। चहारदीवारी तक नहीं है, जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जर्जर शौचालय, जलभराव

- स्कूल में बना शौचालय जर्जर है। पेयजल का प्रबंध तक सही नहीं है। विद्यालय में लगे पांच इंडिया मार्का हैंडपंप प्रदूषित पानी दे रहे हैं जिससे यहां पर पढ़ने वाली छात्राओं के सामने काफी दिक्कतें हो रही हैं। स्कूल परिसर में जलभराव होने से स्कूल आने वाली छात्राओं को मुश्किलों से जूझना पड़ता है। यहां पर बिजली तक का इंतजाम नहीं है।

तस्वीर दो- राजकीय बालिका उमावि बस्ती

बगैर गुरु कर रहे पढ़ाई

- वर्ष 2011 से शुरू हुए इस विद्यालय में कक्षा 9 व 10 की कक्षाएं चल रही है। यहां पर कुल 48 बच्चे ही पंजीकृत है, जबकि यहां पर 150 से अधिक बच्चों के बैठने की क्षमता है। सात शिक्षकों के सापेक्ष सिर्फ चार की ही तैनाती है। इसमें एक अन्य स्कूल में संबद्ध है।

खेल मैदान पर बिजली का तार

- स्कूल के खेल मैदान पर झाड़ियां उगी हुई हैं। मैदान के बीचोंबीच से 11 हजार एचटी लाइन की तार गुजरने के कारण यहां पर बच्चे खेलने से कतरा रहे हैं। कॉलेज के शिक्षक भी डरते हैं। वैसे यहां पर पंखे लगे हैं, वाय¨रग है। बावजूद इसके बिजली कनेक्शन ही नहीं है।

लैब तैयार, कंप्यूटर ही नहीं

- स्कूल में कंप्यूटर लैब तो तैयार है। कुर्सी, मेज व अन्य संसाधन है। अभी तक यहां पर कंप्यूटर ही नहीं है। बगैर कंप्यूटर के लैब का कोई फायदा बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। वैसे स्कूल प्रशासन 75 फीसदी परीक्षा फल लाने का दावा कर रहा है।

जिम्मेदारों के बोल

- राजकीय बालिका इंका मसकनवां की प्रधानाचार्या राजपता देवी का कहना है कि शिक्षकों की कमी से शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। कई अन्य स्तर की दिक्कतें हैं, अधिकारियों को जानकारी दी जा रही है।

- राजकीय बालिका उमावि बस्ती के प्रधानाचार्य सुभाष चंद्र मौर्य का कहना है कि संसाधनों की कमी के बाद भी गुणवत्ता परक शिक्षा का माहौल विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। कमियों की जानकारी अधिकारियों को दी जा चुकी है।


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