गुजरात, असम व बंगाल में गोंडा की धमक
गोंडा :आपदा में फसलों को भले ही नुकसान हुआ हो मगर गोंडा का गेहूं गैर प्रदेशों की कंपनियों की पहली पस
गोंडा :आपदा में फसलों को भले ही नुकसान हुआ हो मगर गोंडा का गेहूं गैर प्रदेशों की कंपनियों की पहली पसंद बना हुआ है। इस बार असम, गुजरात, बंगाल, चेन्नई, दिल्ली व तमिलनाडु में करीब एक लाख 35 हजार ¨क्वटल गेहूं इन स्थानों पर रैक के जरिए भेजा जा चुका है। दूसरे प्रदेशों की कंपनियों के जिले में सक्रिय होने का फायदा किसानों को भी मिला। उनका गेहूं घर से ही बिक गया। इससे उन्हें मंडी के चक्कर भी नहीं काटने पड़े।
सरकार ने दो अप्रैल से 30 जून तक गेहूं खरीद का फरमान जारी किया है। इसके लिए गोंडा में 78 क्रय केंद्र खोले गए लेकिन खरीद की रफ्तार बहुत सुस्त रही। आंकड़ों के अनुसार जिले को 37 हजार 500 मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था, जिसके सापेक्ष अब तक करीब 11 हजार मीट्रिक टन ही क्रय किया जा सका है। जानकारों की मानें तो निर्धारित अवधि में लक्ष्य हासिल करना असंभव सा है। इसके पीछे एक प्रमुख कारण गैर प्रदेशों की निजी कंपनियों की सक्रियता बताई जा रही है। ये कंपनियां अपने एजेंटों के माध्यम से गांव-गांव में खरीदारी कर रही हैं। किसानों का गेहूं घर बैठे ही 1390 से 1400 रुपए में बिक रहा है। यही नहीं, नकद भुगतान भी तुरंत मिल जा रहा है। गोंडा, बहराइच, बलरामपुर व श्रावस्ती जिले से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एजेंट दिन रात गेहूं की खरीदारी में जुटे हैं। कंपनियों ने गुजरात, पश्चिम बंगाल, चेन्नई, बंगाल, दिल्ली व अन्य प्रदेशों को करीब एक लाख 35 हजार ¨क्वटल गेहूं की रैक भेजी हैं। संभागीय खाद्य नियंत्रक हरिनारायन की मानें तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां गेहूं खरीद के लिए गांव-गांव में अपने एजेंट लगाए हुए हैं। इससे किसानों को मुहं मांगा दाम भी मिल रहा है।
झंझट से मुक्ति
क्रय केंद्र में मानक पर खरा उतरने वाले गेहूं के बदले किसानों को प्रति ¨क्वटल 1450 रुपये मिलते हैं। इसके लिए किसान को एकाउंटपेयी चेक दी जाती है। बाद में उसे खाते में लगाने पर भुगतान मिलता है। उधर, कंपनियां किसानों को तुरंत नकद भुगतान कर दे रही हैं।