अन्नदाताओं की जान पर भारी सरकारी बंदिश
गोंडा : जिले में सदमे के कारण तीन किसानों की मौत होने के बाद भी प्रशासन इसे सामान्य मौत मान रहा है।
गोंडा : जिले में सदमे के कारण तीन किसानों की मौत होने के बाद भी प्रशासन इसे सामान्य मौत मान रहा है। जिसके कारण अभी तक मृतकों के परिवारों को कोई भी सहायता नहीं मिल पाई है। वैसे एडीएम इन किसानों के परिजनों को सहायता दिलाने के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष में प्रस्ताव भेजने की बात कह रहे हैं।
तरबगंज तहसील के बेलसर निवासी 50 वर्षीय होली प्रसाद की मंगलवार को मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक बटाई के खेत में लगी गेहूं की फसल खराब होने के कारण वह सदमे में आ गए। घरवालों से भी उन्होंने कहा था कि अब तो सब बर्बाद हो जाएगा, फिर क्या खाएंगे और क्या खेत के मालिक को देंगे। परिजनों के कारण इसे वह सहन नहीं कर पाए, जिसकी वजह से उनकी जान चली गई। उनके बेटा राजाराम चंडीगढ़ में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है। पिता की मौत का समाचार सुनकर वह बदहवासी की स्थिति में घर तो आ गया, लेकिन अभी तक उसे भी किसी भी तरह की कोई सहायता नहीं मिल सकी है।
आदमपुर गांव के 70 वर्षीय हनुमान प्रसाद भी जब जी तोड़ मेहनत करके तैयार की गई फसल की बर्बादी को देखें तो वह भी सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके। मंगलवार को ही उन्होंने ने भी दम तोड़ दिया। उनकी पत्नी शिवपता का कहना है कि अभी तक कोई भी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी पूछने तक नहीं आया है। सहायता तो दूर की बात है। प्रधान साधना ¨सह का कहना है कि अपने स्तर से उन्होंने अधिकारियों को जानकारी दी थी। कर्नलगंज तहसील के धौरहरा गांव के लक्ष्मण प्रसाद की भी सदमे से मौत हो चुकी है। उनके बेटे कुलदीप का कहना है कि अभी तक कोई भी सहायता नहीं उपलब्ध कराई गई है। वैसे सदमे से मरने वाले किसानों के परिजन मुआवजे की मांग को लेकर किसान सभा के नेताओं के साथ अधिकारियों से मिल चुके हैं। बावजूद इसके सन्नाटा है।
चक्रवात में गई एक की जान
- उपजिलाधिकारी तरबगंज जगदीश की मानें तो 16 अप्रैल की सायं काशीपुर गांव में तेज आंधी पानी के साथ चक्रवात आ गया। जिसके कारण ट्राली पलट गई। ट्राली की चपेट में आकर अयूब की मौत हो गई। इसके साथ ही यहां के एक व्यक्ति की 500 मुर्गियां भी मर गई। यहां पर किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। जिसकी रिपोर्ट भेजी गई है।