आमआदमी के साथ ही कर्मियों की फींकी रहेगी होली
गोंडा: रंगों का पर्व होली आमआदमी के साथ ही कर्मियों के लिए इस बार मायूसी भरा रहेगा। बंधे पर बाढ़पीड़
गोंडा: रंगों का पर्व होली आमआदमी के साथ ही कर्मियों के लिए इस बार मायूसी भरा रहेगा। बंधे पर बाढ़पीड़ित जहां आपदा में मिले जख्मों को सेंक रहे हैं, वहीं अफसरों की लापरवाही से कर्मचारियों को भी वेतन नसीब नहीं हुआ। ग्राम्य विकास, बाल विकास एवं पुष्टाहार, पंचायतीराज, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण आदि विभागों में तैनात कर्मियों की होली फीकी रहेगी। ग्राम पंचायत अधिकारी, रोजगार सेवक, सुपरवाइजर, डीआरडीए कर्मी आदि को होली के मौके पर वेतन नसीब नहीं हो सका है। पेश है एक रिपोर्ट:
डीआरडीए
-डीआरडीए कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष कामेश्वरनाथ शुक्ल ने बताया कि डीआरडीए में चतुर्थ श्रेणी से लेकर सहायक अभियंता तक 27 कर्मी तैनात हैं। इन कर्मचारियों को जनवरी माह से वेतन नहीं मिला है। एक माह का वेतन भुगतान के लिए बजट होने के बावजूद लापरवाही के चलते कर्मियों को होली के मौके पर वेतन नहीं मिल सका है।
मनरेगा
-मनरेगा योजना के तहत गांव पर तैनात ग्राम रोजगार सेवक, ब्लाक स्तर पर तैनात तकनीकी सहायक, कंप्यूटर आपरेटर, ब्लाक समन्वयक, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों को भी वेतन नसीब नहीं हो सका है। आलम ये है कि रोजगार सेवकों के बकाया मानदेय भुगतान के लिए शासन से 2.36 करोड़ रुपये जिले को मिलने के बावजूद मानदेय का भुगतान कर्मियों को नहीं हो सका है। ग्राम रोजगार सेवक संघ ने 10 मार्च से धरना देने की चेतावनी भी दी है।
पंचायतीराज
-पंचायतीराज विभाग में ब्लाक स्तर पर तैनात 103 ग्राम पंचायत अधिकारी, 12 सहायक विकास अधिकारी विकास व जिले स्तर पर एक दर्जन कर्मचारी तैनात हैं। विभाग में तैनात कर्मचारी दो माह से वेतन के लिए तरस रहे हैं। कर्मचारियों को जनवरी व फरवरी माह का वेतन नहीं मिल सका है। हैरत की बात तो ये है कि जिले स्तर पर तैनात लिपिकों को ही लापरवाही के चलते वेतन नहीं मिल सका।
बाल विकास विभाग
-बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में तैनात 22 मुख्य सेविकाओं को निदेशालय से संविदा की तिथि न बढ़ने के कारण सात माह से मानदेय नहीं मिल सका है। वहीं परसपुर, वजीरगंज व छपिया बाल विकास परियोजना में तैनात कर्मियों को समय से पेरोल जिले पर न आने से वेतन नहीं मिल सका है।
-बाढ़ की त्रासदी का दंश झेल रहे बाढ़ पीड़ितों के पुर्नवास के लिए अभी तक किसी ने कोई पहल नहीं की है। आलम ये है कि बाढ़ की विभीषका में अपना दाना, आशियाना गवांने वाले माझावासी राहत का इंतजार कर रहे हैं। इन बा¨शदों के जीवन में रंग डालने के लिए पहल नहीं की गई।