हे प्रभु, सपना एक्सप्रेस को रेड सिग्नल
गोंडा: गुरुवार को रेल बजट पेश किया गया। वैसे तो इस बजट में लोगों को तमाम सपने पूरे होने की आशा थी, म
गोंडा: गुरुवार को रेल बजट पेश किया गया। वैसे तो इस बजट में लोगों को तमाम सपने पूरे होने की आशा थी, मगर लोकलुभावन घोषणाओं के अभाव मेज् ज्यादातर लोग इसे सही से समझ नहीं पाए। वैसे, इस बजट में ढांचागत व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की कवायद ने लोगों को आस जरूर बंधाई है, मगर दूसरी तरफ घोषणाएं, घोषणा तक ही सीमित न रह जाएं, इसे लेकर असमंजस की स्थिति भी रही।
देवीपाटन मंडल के चार जिलों गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, व बलरामपुर के अलावा पड़ोसी देश नेपाल के लोगों की बहुतायत ट्रेन यात्रा गोंडा जंक्शन से शुरू होती है। यहां से दिल्ली, मुंबई व अमृतसर के लिए जाने वाले यात्रियों में आम आदमी शामिल हैं।अधिकांश लोग परदेश मजदूरी करने जाते हैं और उनके आवागमन के लिए ट्रेन की सुविधा नहीं मिल पाती। सीट न मिलने का प्रमुख कारण है कि इस रेल मार्ग पर ट्रेनों की संख्या कम है और गोंडा से चलने वाली कोई ट्रेन नहीं है। त्योहार व सहालग के समय यात्रियों की संख्या यकायक बढ़ जाती है और इनको सीट देना चुनौती बन जाता है। गर्मी में जनरल डिब्बे में बैठने की ठौर नहीं बचती। सीट के लिए मारामारी मच जाती है। बजट में कोई नई ट्रेन नहीं दी गई। जनरल कोच बढ़ाने की बात हुई है। इससे आम आदमी को थोड़ी राहत मिल सकती है लेकिन बगैर ट्रेन बढ़ाये यात्री सुविधा देना आसान नहीं है। सबसे खास पहलू यह है कि अरसे से प्रयाग के लिए ट्रेन की मांग रही जिसे बजट में स्थान नहीं मिल पाया। इस ट्रेन के लिए तत्कालीन पीएम अटल बिहारी बाजपेई ने कटरा रेलवे पुल का शुभारंभ किया। तभी से लोगों में उम्मीद बंधी कि प्रयाग के लिए ट्रेन मिल सकेगी। इससे मंडल के आठ लाख लोगों की उम्मीद पर बजट ने पानी फेर दिया। दूसरी तरफ सबसे बड़ी उम्मीद युवाओं व व्यापारियों की रही जिसमें मेमू के चलने की घोषणा बजट में चाह रहे थे लेकिन ऐसी कोई बात नहीं दिखी। कारण गोंडा में मेमू के लिए बिजली की लाइन तैयार है और कुछ माल गाड़ियां चल रहीं हैं। इससे यात्री गाड़ी के लिए बजट में डिब्बे मिलने की उम्मीद लोग पाल रखे थे। तीसरी उम्मीद रेल कर्मचारियों को थी कि गोंडा जंक्शन पर प्लेटफार्म का विस्तार होगा जिससे मालगाड़ियों को रोकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए बजट में कोई झलक नहीं दिखी। चौथी बात नि:शक्त जनों की रही कि उन्हें प्लेटफार्म एक से दो , तीन व चार पर जाने के लिए व्हील चेयर से जाने का रास्ता मिल जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला।
चार माह पहले बु¨कग बेहतर
गोंडा: निजी स्कूल में शिक्षिका शीबा किशोर का कहना है कि बजट में भले ही लोकलुभावन घोषणाएं न हुई हों, मगर तकनीक को बेहतर बनाने की पहल जरूर हुई है। उनका कहना है कि अब चार माह पहले टिकट बुक कराने की सुविधा से फायदा जरूर होगा।
मेमू की होनी चाहिए थी घोषणा
व्यापारी कप्तान ¨सह का कहना है कि इस बजट से हमें तमाम उम्मीदें थीं। आशा थी कि मेमू चलाने की घोषणा होगी, मगर ऐसा हुआ नहीं। यदि मेमू चल जाए तो गोंडा के व्यापारी आसानी से राजधानी और कानपुर आने जाने में मदद मिल जाती है।
जमीन पर बेहतर हों सेवाएं
व्यापारी सौरभ ¨सह का कहना है कि रेलवे में सबसे बड़ी दिक्कत सुविधाओं के अकाल की है। वह कहते हैं कि भले लोकलुभावन घोषणाएं न करें, मगर जो सुविधाएं मिलें, वे बेहतर हों। उनका कहना है कि रेल में सीट मिल जाए, भोजन बेहतर मिले तो फिर क्या कहने।
ट्रेनें बढ़तीं तो होता अच्छा
मो. आसिफ बजट को मिलाजुला बताते हैं। उनका कहना है कि स्टेशनों पर वाइफाइ की सुविधा मिलना बेहतर होगा, मगर इसी के साथ ट्रेनें बढ़ाना भी जरूरी था। ऐसा होता ट्रेनों में सीटों के लिए मारामारी कम होती। उनका कहना है कि कम दूरी वाले यात्रियों के लिए चेयरकार कोच भी बढ़ने चाहिए थे, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।