बेकारी हटाना नानाजी का था मुख्य उद्देश्य
गोंडा: मंगलवार को दीनदयाल शोध संस्थान का स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जन शिक्षण संस्थान व कृषि
गोंडा: मंगलवार को दीनदयाल शोध संस्थान का स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जन शिक्षण संस्थान व कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व प्रशिक्षणार्थियों व अभिभावकों का सम्मेलन आयोजित किया गया। 37वां स्थापना दिवस समारोह चिन्मय ग्रामोदय विद्या मंदिर में संपन्न हुआ। भरत पाठक ने कहा कि नानाजी देशमुख का संकल्प था कि क्षेत्र में गरीब, बेकार, अशिक्षित व अस्वस्थ न रहें। हमारे भीतर मातृ देवोभव, पितृ देवाभव, आचार्य देवोभव तथा सबसे पहले राष्ट्र देवोभव की भावना हो।
उद्यमित विद्यापीठ चित्रकूट की निदेशक नंदिता पाठक ने कहा कि नानाजी द्वारा बोया गया बीज वट वृक्ष बन चुका है। घर समाज व व्यक्ति का निर्माण करने में नानाजी की महती भूमिका रही। महिलाएं समाज में अलग-अलग स्थान बनाई। माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड सदस्य डॉ. रेखा शर्मा ने कहा कि नेहरू, गांधी के बाद नानाजी उसी सोच के थे। सभी आत्मसात कर लें तो ऊंच नीच का भाव समाप्त हो जाएगा। संगठन सचिव रामकृष्ण तिवारी ने कहा कि नानाजी देशमुख महाराष्ट्र के थे लेकिन उन्होंने उत्तर प्रदेश की जनता को स्वावलंबन से जोड़ने का बीड़ा उठाया। नानाजी देशमुख के प्रयास से 23 नवंबर 1978 को दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना जयप्रकाश नारायण व उनकी पत्नी प्रभावती के नाम पर कर क्षेत्र में अच्छी सिचाई, बीज की व्यवस्था तथा निचले पायदान के अंतिम तबके के लोगों को रोजगार प्रदान करने का काम किया।
इसके पूर्व जनशिक्षण संस्थान तथा कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संचालित विभिन्न प्रकल्पों के पूर्व प्रशिक्षणार्थियों का सम्मेलन भी आयोजित किया गया। चिन्मय ग्रामोदय विद्या मंदिर में अभिभावक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें अभिभावकों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में विद्यालय की छात्रा सौम्या, दिव्यांशी, वर्षा ने स्वागीत व व रामायण पंक्यिों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौके पर डॉ. प्रज्योति त्रिपाठी, डॉ. अरविंद शर्मा, डॉ. ओपी मिश्र, डॉ. सविता मिश्रा, डॉ. एके शर्मा ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।