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विकास भवन में सीबीआइ ने दर्ज किए बयान

गोंडा: मनरेगा में अनियमितता की जांच कर रही सीबीआइ रविवार को विकास भवन पहुंची। यहां पर सीबीआइ ने सभाग

By Edited By: Published: Sun, 19 Oct 2014 10:01 PM (IST)Updated: Sun, 19 Oct 2014 10:01 PM (IST)
विकास भवन में सीबीआइ ने दर्ज किए बयान

गोंडा: मनरेगा में अनियमितता की जांच कर रही सीबीआइ रविवार को विकास भवन पहुंची। यहां पर सीबीआइ ने सभागार में डेरा डाल दिया। इसके बाद शुरू हुआ एक-एक कर्मी के बयान का सिलसिला। किसी से मनरेगा में सामग्री क्रय की जानकारी ली गई, तो किसी से फावड़ा व खिलौनों की खरीद पर पूछताछ की गई। साथ ही कर्मियों से लिखित बयान भी लिए। सीबीआइ यहां पर पूरे दिन डटी रही। मनरेगा अनुभाग में भी अभिलेखों को खंगाला गया।

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न्यायालय के आदेश में मनरेगा योजना में हुई गड़बड़ियों की जांच सीबीआइ कर रही है। पिछले तीन दिनों से जांच के सिलसिले में लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में जमी सीबीआइ की टीम रविवार को विकास भवन में जा धमकी। इसके बाद टीम के सदस्यों ने कर्नलगंज, बेलसर, परसपुर व तरबगंज के ग्राम पंचायतों के सचिवों के बयान सीबीआइ ने दर्ज किए। किसी से फावड़ा खरीद की जानकारी ली, तो किसी से फावड़ा खरीद का विवरण जुटाया। यही नहीं सीबीआइ ने कई गांवों के पंचायत सचिवों के मनरेगा संबंधित अभिलेख भी खंगाले। विकास भवन में भी मनरेगा से जुड़े कर्मियों के साथ जानकारी हासिल की। साथ ही अभिलेखों को खंगाला।

क्या है मामला

- मनरेगा में विभिन्न प्रपत्रों एवं पंजिकाओं की खरीद वर्ष 2007 व 2008 में 43 लाख 89 हजार 82 रुपये का भुगतान किया गया। जांच में पता चला कि इसमें से 34 लाख 89 हजार 890 रुपये के भुगतान में निविदा प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

- मनरेगा के लेजर, कैशबुक, चेक इश्यू रजिस्टर, एमबी रजिस्टर, वर्क रजिस्टर, बिल रजिस्टर, निरीक्षण डायरी एवं निरीक्षण पंजिका के लिए एक कंपनी को 25 लाख 40 हजार 930 रुपये का भुगतान किया गया। जिसमें जांच में बगैर निविदा प्राप्त किये, भुगतान दरों का परीक्षण किये बिना आपूर्तिकर्ता कंपनी को भुगतान करने का मामला जांच में उजागर हुआ।

- कंप्यूटर क्रय में भी 19 लाख 42 हजार 859 रुपये की अनियमितता का मामला पकड़ में आया।

- खिलौना खरीद, वर्कशेड, पेयजल सुविधा के लिए टैंक बाल्टी एवं जग में दो करोड़ 51 लाख 37 हजार 900 रुपये की अनियमितता का मामला है।

- 90 लाख रुपये की फ‌र्स्ट एंड बाक्स की खरीद में भी गड़बड़ी का मामला है।

- फावड़ा तसला के साथ ही शिकायत पेटिका की खरीद में भी अनियमितता का मामला है।

- वर्ष 2008 से 2011-12 के बीच मनरेगा योजना में विभागीय नियमों को दरकिनार कर सौ दिन से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराने व प्रशासनिक मद में अनियमितता का मामला सीएजी की टीम उजागर कर चुकी है।

- सीएजी टीम की पड़ताल में करोड़ों रुपए की अनियमितता का मामला है। मनरेगा में फर्जी वर्क आईडी बनाकर 6.48 करोड़ रुपये खर्च पर भी सवाल उठ चुके हैं।


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