मच्र्युरी में शवों की आंखों पर नजर!
गोंडा: जिला अस्पताल की मच्र्युरी से चार साल के मासूम के शव की आंखें गायब होने के मामले में अस्पताल प
गोंडा: जिला अस्पताल की मच्र्युरी से चार साल के मासूम के शव की आंखें गायब होने के मामले में अस्पताल प्रशासन सवालों से घिर गया है। दस दिनों के भीतर इस तरह का यह दूसरा मामला खुलकर सामने आया है। इन सबकी जानकारी के बावजूद स्वास्थ्य विभाग लीपापोती में जुटा है।
सुस्त चाल का अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है कि न तो उसने कारणों को जानने की कोशिश की, न ही कोई पता लगाने की। मंगलवार को जब मामला बढ़ा तो सभी के हाथ पांव फूल गए। आला अधिकारी भी हरकत में आए मगर जुबान से तीर सिर्फ जांच कराने का ही निकला। शर्मनाक बात यह है कि मच्र्युरी में रखे बाक्स में शव क्यों नहीं रखे जा रहे हैं, इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है, यह जानने की भी कोशिश नहीं की गई है। यदि बाक्स में कोई गड़बड़ी है तो क्या जिम्मेदारों के पास इसके लिए कोई बजट की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं, सवाल यह भी है कि क्या बॉक्स खराब है, इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को कोई जानकारी दी?
नहीं लिया सबक
- 22 सितंबर को जिला अस्पताल की मच्र्युरी से एक महिला की दाहिनी आंख गायब होने का मामला आया था। इसको लेकर भी काफी हो हल्ला मचा था, बावजूद इसके किसी ने कोई सबक नहीं लिया। सोमवार को सड़क हादसे में चार वर्षीय कुलदीप पुत्र प्रेमनाथ निवासी कपूरपुर की मौत के बाद चिकित्सालय कर्मियों ने उसके शव को मच्र्युरी में जमीन पर ही खुले में लिटा दिया।
दिखा गुस्सा
- बालक के शव की आंख गायब होने की जानकारी पर यहां पहुंचे परिजनों व उनके रिश्तेदारों के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों में भी गुस्सा दिखा। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल रहमान, तिलकराम कनौजिया, रविकांत, तिलक चंद्र, राम केवल मौर्य के साथ ही रामधन यादव ने अधिकारियों से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की। बाद में पहुंचे भाजयुमो के जिलाध्यक्ष नीरज मौर्य, विद्या भूषण द्विवेदी ने भी सीएमओ व सीएमएस से कार्रवाई की मांग की।
लापरवाही की हद
- पुलिस कर्मियों ने सीएमओ से मुलाकात की। जिसमें उन्होंने बताया कि यह कोई नया मामला नहीं है। दो माह के भीतर दस शवों की आंखें निकल चुकी हैं। कई बार तो जहर खाने से होने वाली मौतों में भी शवों के हाथों से खून निकलता मिला है। यही नहीं चिकित्सालय के भी कर्मी इस घटना की तस्दीक कर रहे हैं।
टूटी खिड़की
- अस्पताल की मच्र्युरी हाउस की खिड़कियों के शीशे टूटे हैं। कई बार इसके लिए कहा गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। यहीं नहीं यहां अस्पताल की इमरजेंसी में खुले में ही मच्र्युरी की चाभी टंगी रहती है।
शाम होते-होते बदला बयान
- जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास शेट्टी ने मंगलवार को दिन में जब बालक के शव को देखा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बच्चे की दाहिनी आंख निकाली गई है। शाम को शव का पोस्टमार्टम करने के बाद उनका सुर बदल गया। उन्होंने कहा कि किसी जानवर ने बालक की आंखें निकाली है।
जांच की आंच
- बालक के शव की दाहिनी आंख गायब हाने के मामले में तीन सदस्यीय डाक्टरों के पैनल ने शव का पोस्टमार्टम किया। साथ ही पूरे मामले की जांच ईएमओ को सौंपी है।
व्यवस्थाएं दुरुस्त हों : डीएम
डीएम अजय कुमार उपाध्याय ने बताया कि मच्र्युरी में ग्रिल लगवाने व अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने के निर्देश दे दिए गए हैं। यही नहीं, अफसरों को चेतावनी दी गई है कि इस तरह की लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।