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बाढ़ ने परोस दी पीड़ितों के सामने लाचारी

By Edited By: Published: Fri, 29 Aug 2014 11:29 PM (IST)Updated: Fri, 29 Aug 2014 11:29 PM (IST)
बाढ़ ने परोस दी पीड़ितों के सामने लाचारी

गोंडा: खतरे के निशान को पार कर उतरी सरयू नदी ने इलाके में एक बार फिर चिरपरिचित दर्द व लाचारी परोस दी है। सड़क पर आ चुके दर्जनों परिवार नम आंखों से पानी की उस धारा को देख रहे हैं, जिसने अपनी आगोश में उनकी गृहस्थी ले ली। दर्जनों गांवों को प्रभावित करने वाली बाढ़ ने असहज कर दिया है। हर साल पड़ने वाली कुदरत की इस मार का दर्द ही अब उनकी दवा भी बन चुकी है।

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सरयू के किनारे बसे विकास खंड के दर्जनों गांव दुर्गागंज, लोलपुर, इस्माइलपुर, महेशपुर, कटराभोगचंद, जफरापुर, फत्तेपुर, माझा राठ, दुल्लापुर, कनकपुर, जैतपुर, साखीपुर, तुलसीपुर, दत्तनगर, गोकुला, नकहरा व सेमरा शेखपुर के दर्जनों मजरों को नेपाल से आए इस सैलाब ने प्रभावित किया। हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई व दर्जनों घर पूरी गृहस्थी सहित अपना वजूद गवां चुके हैं। अब पानी के उतरने के बाद इन प्रभावित परिवारों के सामने जीने की चुनौती सामने खड़ी है। दुर्गागंज ग्राम पंचायत के मजरे जानकीपुरवा की निवासी लद्दीना प्रकृति की इस मार से पूरी तरह पस्त हैं। नम आंखों से पानी की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं कि खेती बारी सबकुछ तो डूब गया। अब जवान बिटिया का विवाह कैसे होगा। उसकी पुत्री रामावती (19) की शादी कैसे होगी। उसका परिवार खुले आसमान के नीचे सड़क पर है। कमोवेश यही हाल गांव जैतपुरवा के सोहनपुरवा की रहने वाली बेवा राजकुमारी का भी है। जैतपुर माझा के जानकीपुरवा निवासी बाबूराम व नंदकिशोर का परिवार भी पानी उतर जाने के बाद माझा की सड़क पर ठौर बनाए हुए है। इस तरह एक दर्जन से अधिक परिवार अब नए सिरे से जीवन शुरू करने की जद्दोजहद में हैं। नए सिरे से शुरुआत के लिए जमीन चाहिए पर अभी तो हर तरफ पानी ही पानी है। सबके चेहरे पर बस एक सवाल तैर रहा है कि कब तक यह खानाबदोशी का जीवन सहना पड़ेगा। इनके पहले की पीढ़ी तो यहीं संघर्ष झेलते-झेलते विदा हो गई। पता नहीं इनकी जिंदगी में उठापटक खत्म होगी या नहीं।


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