रेलवे दरकिनार, आरपीएफ व जीआरपी में ठनी
गोंडा: सत्रह अगस्त को जिस व्यक्ति को रेलवे एक्ट में चालान हुआ, उसी की तहरीर पर जीआरपी ने आरपीएफ सिपाही पर मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि आरपीएफ सिपाही की तहरीर पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। इस मामले को लेकर जीआरपी व आरपीएफ की रार चर्चा का विषय बनी हुई है।
बीते दिनों 17 अगस्त को आरपीएफ ने ट्रेन में अवैध वेंडर का कार्य कर रहे इंद्रकुमार उर्फ चिल्लर का चालान कर दिया। 22 अगस्त को आरपीएफ ने पवन यादव का वेंडर कार्य में चालान कर दिया। इसी बीच इंद्रकुमार यादव निवासी सिरसिया जिला श्रावस्ती ने आरपीएफ एक सिपाही को नामजद करते हुए एक अज्ञात पर जीआरपी कोतवाली में मारपीट का मामला दर्ज करा दिया। विवेचना दारोगा महेंद्र प्रताप यादव को दी गई है। इस मुकदमे के दर्ज होने के बाद गोंडा जंक्शन आरपीएफ कोतवाली में हड़कंप मच गया।
आरपीएफ सिपाही महेश वर्मा ने भी थानाध्यक्ष राजकीय रेलवे पुलिस गोंडा को अर्जी देकर एक दरोगा व वेंडर पर अपशब्दों का प्रयोग करने व धमकाने का आरोप लगाया है। इस तहरीर पर अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
आरपीएफ का तर्क
- आरपीएफ कोतवाल जेपी सिंह का कहना है कि अवैध वेंडर की तहरीर पर मुकदमा दर्ज होगा तो अवैध वेंडरों के काम को कैसे रोका जाएगा।
जीआरपी का पक्ष
- जीआरपी कोतवाल एएन सिंह का कहना है कि जीआरपी के एक दारोगा के घर के सामने से आरपीएफ एक व्यक्ति को पकड़ ले गई। आरपीएफ का एक क्षेत्र होता है। विरोध जताने पर दारोगा के खिलाफ जीआरपी में आरपीएफ के जवान मुकदमा दर्ज कराने चले आये। आरपीएफ कोई यूनियन नहीं है। सलीके से अपनी बात रखनी चाहिए। जबरदस्ती फर्जी मुकदमा दर्ज कराने थाने आना कोई अच्छी बात नहीं है।