पहले सपनों के सब्जबाग, फिर दे दिया झटका
गोंडा: रानी लक्ष्मीबाई पेंशन योजना के पेंशन पाने का सपना देखने वालों को तगड़ा झटका लगा है। पहले समाजवादी पेंशन योजना के तहत चयन में वरीयता देने का सपना दिखाया और चार महीने बाद ही फैसला बदल दिया। जिससे देवीपाटन मंडल के 1.37 लाख गरीबों की उम्मीदों को झटका लगा है।
बताते चलें कि वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने गरीबों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए महामाया आर्थिक मदद योजना शुरु की थी। जिसके तहत प्रत्येक लाभार्थियों को हर माह चार सौ रुपये की मदद दी जाती थी। इसके बाद वर्ष 2012 में हुकूमत बदली तो फैसले बदल गये। सूबे की सपा सरकार ने महामाया आर्थिक मदद योजना का नाम बदलकर रानी लक्ष्मीबाई पेंशन योजना कर दिया। यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन मार्च 2014 में सरकार ने रानीलक्ष्मी बाई योजना बंद करके समाजवादी पेंशन योजना शुरु करने का ऐलान किया। सरकार ने गरीबों को राहत देने का सपना दिखाते हुए समाजवादी पेंशन योजना के लाभार्थी चयन में रानी लक्ष्मीबाई पेंशनरों को वरीयता देने का शासनादेश जारी कर दिया। शासन के फरमान के बाद लोगों ने नई पेंशन योजना के लिए आवेदन किया। रानी लक्ष्मीबाई पेंशनरों को उम्मीद थी कि मेरा चयन होगा, लेकिन इसी बीच सरकार ने फैसला दिया। अब रानी लक्ष्मीबाई पेंशन योजना का लाभ पा चुके लोगों को समाजवादी पेंशन योजना के तहत चयन में कोई वरीयता नहीं मिलेगी। सरकार की वादा खिलाफी से देवीपाटन मंडल के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच व श्रावस्ती जिले के 1.37 लाख गरीबों की उम्मीदों को झटका लगा है।
पहले क्या था चयन का मानक
-रानी लक्ष्मीबाई पेंशन योजना के लाभार्थियों को वरीयता।
-भूमिहीन
-चिन्हित स्वच्छकार
-मुखिया एकल महिला
-मुखिया नि:शक्त
-नि:शक्त बच्चे जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम हो
अब क्या है
-भूमिहीन
-चिन्हित स्वच्छकार
-मुखिया एकल महिला
-मुखिया नि:शक्त
-नि:शक्त बच्चे जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम हो
-अन्य पात्र लाभार्थी
शासनादेश में हुआ संशोधन
''शासन ने समाजवादी पेंशन योजना के तहत लाभार्थियों के चयन संबंधी शासनादेश में संशोधन किया है, अब रानी लक्ष्मीबाई पेंशन योजना के लाभार्थियों को चयन में कोई वरीयता नहीं मिलेगी। अब सामान्य रूप से जो भी आवेदक समाजवादी पेंशन योजना के मानकों को पूरा करेंगे, उन्हें योजना का लाभ मिलेगा। ''
-अरुण कुमार पांडेय, उप निदेशक समाज कल्याण