अनोखी परंपरा : निर्धन मरे या धनवान, कफन आएगा उधार
पनपाल राय पट्टी के अधिवक्ता भानु प्रताप राय ने बताया कि दुकानदार भी इस परंपरा का पालन करते हैं और वह कफन का पैसा उस दिन नहीं मांगते।
गाजीपुर (जेएनएन)। परंपराएं हर वक्त जड़ता ही नहीं देतीं कुछ परंपराएं गर्व का अहसास भी कराती हैं। ऐसी ही एक परंपरा शहीदों के गांव शेरपुर में चली आ रही है। इस गांव में निर्धन मरे या धनवान कफन उधार का ही आता है।
कफन और अंतिम संस्कार के दौरान बहुत अधिक खर्च नहीं होता लेकिन जो भी होता है यह जरूरी नहीं कि उस परिवार में उतने धन की भी व्यवस्था उस वक्त हो।
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गांव की कई पट्टियों में इस परंपरा का न केवल पालन होता है बल्कि इसे आगे बढ़ाने और बताने में भी लोगों को कोई संकोच नहीं होता।
ताकि गरीबों को मिले मदद
परंपरा कब से और क्यों चल रही है इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। इस बारे में काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक और गांव के अरविंद राय कहते हैं कि हम लोगों को याद नहीं कि परंपरा कब से चली आ रही है लेकिन इसके पीछे का तर्क यही होगा कि गांव के गरीबों की बुरे समय में सहायता की जा सके।
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दुकानदार भी नहीं मांगते पैसा
पनपाल राय पट्टी के अधिवक्ता भानु प्रताप राय ने बताया कि दुकानदार भी इस परंपरा का पालन करते हैं और वह कफन का पैसा उस दिन नहीं मांगते। इस परंपरा से अमीर-गरीब सबका गुजारा इज्जत के साथ होता है।
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पट्टीदार ही लाते हैं कफन
परशुराम राय पट्टी के विनोद राय ने कहा कि निधन होने पर कफन पट्टीदार ही लाते हैं। वह दुकान से उधार लाते हैं या खरीदकर यह कोई नहीं पूछता। एकादश के दिन घरवाले उसका भुगतान कर देते हैं।