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दिल-दिमाग के साथ बेहतर सेहत देता देशी पेय

By Edited By: Published: Sat, 28 Apr 2012 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2012 08:53 PM (IST)
दिल-दिमाग के साथ बेहतर सेहत देता देशी पेय

गाजीपुर : चिलचिलाती धूप..तपती हवा। सूखता गला..कुछ हो जाए कूल..कूल ! बिलायती नहीं शुद्ध देशी। बाजार में गन्ना, आम का पन्ना, नीबू पानी, बेल का शर्बत और दही, सत्तू की लस्सी। जगह-जगह ठेले लगे हैं। आपका गला और उनकी जेब भी होगी तर।

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शरीर में पानी की कमी न हो लिहाजा तपती धूप में गला तर रखना जरूरी है। इसके लिए नगर सहित ग्रामीण चट्टियों पर शीतल व देशी पेय की दुकानें सजी हुई है। इससे न सिर्फ गला तर होता है बल्कि स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। नीबू, बेल, दही, सत्तू आदि में मौजूद मिनरल शरीर को ताकत, चुस्ती, फुर्ती के साथ धूप और लू के प्रकोप से भी बचाते है। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं।

अच्छी-खासी हो रही कमाई

रौजा के बबलू सत्तू और बेल का शर्बत का ठेला लगाते है। अच्छी-खासी कमाई भी हो जाती है। उसी कमाई से उनके परिवार का गुजारा चलता है। उसने बताया कि दूरदराज से आए लोग सत्तू का घोल व बेल का शर्बत बहुत पसंद करते है। बताया कि गर्मी बीतने के बाद वह लाई-चना बेचकर गुजारा करते है। लंका के आकाश भी बेल का शर्बत व गन्ने के रस से खूब कमाई कर रहे है। सस्ता व देशी पेय जो गरीब, अमीर सबकी जेब में समा जाता है। बताया कि गांव से आने वाले या सफर पर जाने से पहले लोग इसका सेवन करना नहीं भूलते। खासकर लू-धूप में यह पेय दवा का काम करता है। कहा कि उसके पिता भी यही काम करते थे और अब उसने इस पुश्तैनी काम को संभाल रखा है। कुछ ऐसा ही इत्तेफाक रखते है नवाबगंज के लस्सी विक्रेता राजेश। बताया कि गर्मी में पेट को ठंडा रखने के लिए दही का सेवन बहुत लाभदायक होता है।

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