दोनों बच्चों को खोने के बाद सूनी हुई दीपा की गोद
जागरण संवाददाता, गाजीपुर: बेरहम समय, बेमुरौव्वत हवाएं, बेदर्द गंगा की लहरें और बेवफा ¨जदगी। आज जि
जागरण संवाददाता, गाजीपुर: बेरहम समय, बेमुरौव्वत हवाएं, बेदर्द गंगा की लहरें और बेवफा ¨जदगी। आज जितना भी कहें कम होगा उस मां दीपा के लिए, जिसने खोया है अपना बेटा और बेटी। साथ ही जिसने लुटाई है अपनी ¨जदगी और जिसका उजड़ गया पूरा बसा-बसाया घर। शाम हो या सुबह ये उसके किस काम के। सुख हो या दुख, अब क्या फर्क पड़ता है। उसे तो बस रोना है सारी ¨जदगी और आंखों में संजोया सपना बस सिसकियों में सिमट कर रह जाएगा।
शेरपुर कला गांव गांव से महज कुछ दूरी पर बहने वाली गंगा और वहां मौका-बेमौका नहाने जाना दीपा के लिए कोई नहीं बात नहीं है। मां गंगा की धारा में डुबकी लगाकर न जाने कितनी मनौतियां मानी थी दीपा ने। अपने दोनों बच्चों मोहित और बेबी के लिए भी दीपा ने मां गंगा से कई मनौतियां मानी और पूरी होने पर विधिवत पूजन-अर्चन किया। उसे क्या पता था कि यही मां गंगा उसकी कोख सूनी कर देंगी। घर से जब महिलाओं के झुंड के साथ दीपा गंगा नहाने निकली थीं तो काफी प्रफुल्लित थीं। उनके दोनों बच्चे मोहित व बेबी के साथ बहन का बेटा आयुष भी साथ हो लिया। गंगा घाट पहुंचने के बाद दीपा ने उन्हें श्रद्धापूर्वक सिर झुकाकर प्रणाम किया और गंगा जल लेकर मुंह से लगाया। फिर पानी में उतरकर नहाने लगीं। इसी दौरान अनजाने में तीनों बच्चे गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। यह देख दीपा शेरनी की तरफ अपने बच्चों की ओर झपटी और उन्हें पकड़ने का प्रयास किया लेकिन वह खुद डूबने लगीं। तब तक अन्य लोगों ने किसी तरह दीपा को बाहर निकाला लेकिन तीनों बच्चों को नहीं बचाया जा सका। अपने सामने अपने बच्चों को डूबते देख दीपा का कलेजा चाक हो गया। कुछ देर तक वह स्तब्ध सी खड़ी थीं और फिर जब मुंह से चीत्कार फूटा तो कलेजा फट पड़ा। घाट का पूरा माहौल पल भर में बदल चुका था। दीपा का अब सब कुछ उजड़ चुका था। गोद सूनी हो चुकी थी और वह पागल जैसी हो गई। अगर बात करें शेरपुर कला गांव की तो वहां मरघट सा सन्नाटा पसरा है। अधिकतर घरों में चूल्हा नहीं जला है। सिसकियां हर ओर माहौल को गमगीन बना रही हैं। किसी की जुबान से कुछ भी बोल नहीं फूट रहे हैं। आंखों से सिर्फ और सिर्फ गिरते झरझर आंसू अपनों को खोने का दर्द बयां कर रही थीं।
उजड़ गए दोनों परिवार
मोहित उसकी बहन बेबी तथा उसके मौसेरे भाई आयुष गुप्ता की मौत से दीपा व उसकी बहन बिहार आरा की ज्योति दोनों का परिवार पूरी तरह उजड़ गया। मोहित इकलौता पुत्र और बेबी इकलौती पुत्री थी। इनकी मौत के बाद अब मन्नू और दीपा को कोई संतान नहीं बचा। उधर दीपा की बहन ज्योति गुप्ता का पुत्र आयुष भी अपनी दो बहनों रोशनी और अंशु के बीच इकलौता भाई था। आयुष के पिता अशोक गुप्ता की मौत भी दो वर्ष पूर्व हो चुकी है।
सुगर के मरीज मन्नू का नहीं रहा सहारा
भांवरकोल : मन्नू गुप्ता सुगर का मरीज होते हुए भी अपने परिवार की परवरिश के लिये गांव में ही किराना की दुकान करते है। उनका पुत्र मोहित इंटर और पुत्री बेबी हाई स्कूल स्तर में अध्ययनरत होते हुए भी अपने पिता के कायरें में हाथ बंटाकर उनकी मदद करते थे। अब तो मन्नू और दीपा के सामने केवल अंधेरा ही दिखाई पड़ रहा है।
कोशिश होगी मुख्यमंत्री कोष से सहायता दिलाने की
भांवरकोल : उपजिलाधिकारी शिव प्रसाद ने कहा कि मृतक के परिजनों को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से आर्थिक सहायता दिलाने के लिये जो भी सम्भव होगा हर आवश्यक कदम उठाया जायेगा।