समाधान नहीं लालीपाप मिलते रहे हैं किसानों को
बारा (गाजीपुर): कृषि प्रधान भारत देश में किसानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। कभी बाढ़ तो कभी सू
बारा (गाजीपुर): कृषि प्रधान भारत देश में किसानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। कभी बाढ़ तो कभी सूखे के चलते किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। चुनाव के दौरान इनकी आवाज उठाने की बात जरूर होती है लेकिन अमल अब तक न हुआ। अलबत्ता लालीपाप समय-समय पर जरूर मिलते रहे हैं।
किसानों को न तो उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल रहा है और न ही कृषि कार्य के लिए प्रोत्साहन। हालात ऐसे हो गए हैं कि किसान अब कृषि कार्यों से मुंह मोड़ने लगे हैं। किसानों का हित सोचने वाले जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए इस बार हम अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यह कहना है जमानियां विधानसभा के कुछ किसानों का। विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा होने के बाद से ही क्षेत्र में चुनावी माहौल गरमा गया है। प्रत्याशी व मतदाता दोनों ही असमंजस की स्थिति में हैं। मतदाता ऐसा जनप्रतिनिधि व ऐसी सरकार चाहते हैं जो उनके हित के लिए कार्य करे। इन्हीं मतदाताओं में किसान भी शामिल हैं। इन किसानों के भी अपने मुद्दे हैं। किसानों के इन मुद्दों पर खरा उतरने वाला प्रत्याशी ही उनका मत अपनी ओर खींच पाएगा । बारा के रहने वाले जफरुल्लाह व मैनुद्दीन खां का कहना है कि सूखे व बाढ़ के चलते उनकी फसलें नष्ट हो गई। धान बिक नहीं पा रहा है। किसान हर तरफ से मुसीबतों का सामना कर रहा है। किसान जयप्रकाश राय व बब्बन राय ने कहा कि किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम तक नहीं मिल पा रहे हैं। चुनाव के समय तो राजनितिक दलों के उम्मीदवार किसानों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कराने के वादे करते हैं लेकिन जीतने के बाद भूल जाते हैं। इस बार के चुनाव में हम ऐसे प्रत्याशियों के समर्थन में मत देंगे जो किसानों के हितों के लिए लड़ने वाला हो तथा क्षेत्र के विकास के लिए भी प्रतिबद्ध हो।