कमिश्नर के आदेश पर बोर्ड परीक्षा केंद्रों की जांच शुरू
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : मानक पूरा न करने वाले विद्यालयों को भी यूपी बोर्ड परीक्षा-2017 का केंद्र
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : मानक पूरा न करने वाले विद्यालयों को भी यूपी बोर्ड परीक्षा-2017 का केंद्र बनाना जिला विद्यालय निरीक्षक के गले की फांस बन गया है। पिछले दिनों 331 परीक्षा केंद्रों की जारी सूची को मंडलीय समिति ने अनुमोदित नहीं किया है। ऊपर से कमिश्नर ने कई केंद्रों की जांच करने का आदेश जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री को दिया है। साथ ही लौटती डाक से जांच की रिपोर्ट भी मांगी है। जिलाधिकारी के निर्देश पर सीडीओ डा. अर¨वद कुमार पांडेय डीआइओएस हृदय राम आजाद को लेकर बुधवार को महात्मा ज्योतिराव फूले उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सराय मुबारक पहुंचे।
जिला केंद्र निर्धारण समिति ने यूपी बोर्ड परीक्षा की 303 केंद्रों की पहली सूची जारी की थी। इस सूची पर दो सौ से अधिक आपत्तियां पड़ी थीं। आपत्तियों के निस्तारण के क्रम में फिर से कई विद्यालयों जांच कराई गई। इसके बाद आधा दर्जन केंद्रों को हटा दिया गया और उनकी जगह अन्य विद्यालयों को केंद्र बनाया गया। इस बार 331 केंद्रों की दूसरी सूची जारी की गई। इसमें कई ऐसे विद्यालयों को केंद्र बना दिया गया जो मानक पूरा नहीं करते थे।
इसको लेकर विद्यालय संचालक जिलाधिकारी से मिले और अपनी आपत्ति दर्ज कराई। वहीं उन्होंने कमिश्नर और शासन से भी इसकी शिकायत की है।
फर्जी आपत्तियां डाल कर होता है खेल
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय का खेल भी अजब-गजब का है। जिस विद्यालय पर दबाव बनाना है उसके खिलाफ विभाग के कर्मी ही फर्जी आपत्तियां डाल देते हैं और इसी को आधार बना उसकी जांच शुरू हो जाती है। जांच के दौरान विद्यालय प्रबंधक से लेनदेन की बात करते हैं। अगर मामला सेट हो गया तो ठीक नहीं तो उसको परीक्षा केंद्र नहीं बनाते हैं।
मुकदमे वाले विद्यालय भी बने केंद्र
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय का खेल यहीं नहीं रुका। सारे नियम कायदे को दरकिनार कर कई ऐसे विद्यालय भी केंद्र बनाए गए हैं जिन पर फर्जी खतौनी लगाकर मान्यता लेने सहित विभिन्न आरोपों में मुकदमा दर्ज है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पहले विद्यालयों की कमी तलाशता है और फिर उसे छिपाने के लिए सौदेबाजी करता है। इस खेल में परीक्षा पटल सहायक सुरेंद्र यादव की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
डीएम से भी छिपाए जाते हैं साक्ष्य
कहने को तो यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों का निर्धारण जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति करती है लेकिन यह समिति उन्हीं ¨बदुओं पर काम करती है जो उसके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय इसमें भी खेल करता है। मुकदमें वाले और अन्य संदिग्ध विद्यालयों की सूचना और साक्ष्य इस समिति के सामने रखे ही नहीं जाते हैं। इससे केंद्र निर्धारण समिति लाख प्रयास के बाद भी केंद्र निर्धारण में पारदर्शिता नहीं ला पाती है।
दबाव में भी होता है निर्णय
परीक्षा केंद्रों का निर्धारण कोई सामान्य कार्य नहीं है। नकल माफियाओं के लिए विख्यात इस जनपद में गैर जनपदों और राष्ट्र से भी परीक्षार्थी आते हैं। नकल माफियाओं की ताकत के आगे राजनीतिक सत्ता भी नतमस्तक रहती है। अधिकारी कोई कार्रवाई करना चाहते हैं तो विधायक और मंत्री बीच में कूद पड़ते हैं और दबाव बनाकर उनके हाथ रोक देते हैं। अधिकारी चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते। इस वर्ष ही कई ऐसे विद्यालय परीक्षा केंद्र नहीं बनाये गये हैं जिनका दस वर्ष का परीक्षा का ट्रैक रिकार्ड बेहतर रहा है। राजनीतिक दबाव में उन्हें केंद्र नहीं बनाया गया। केंद्र बनाने के बाद परीक्षार्थियों के आवंटन में भी वही प्रक्रिया दोहरायी गई।