रेकी पद्धति से चिकनगुनिया का भी इलाज संभव
गाजीपुर : एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण व प्राकृतिक संस्थान की ओर से तीन दिवसीय स्पर्श चिकित्सा
गाजीपुर : एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण व प्राकृतिक संस्थान की ओर से तीन दिवसीय स्पर्श चिकित्सा शिविर का समापन मंगलवार को रौजा स्थित रेकी सेंटर पर हुआ। इस दौरान इस चिकित्सा पद्धति से लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। रेकी गैंड मास्टर सतीश राय ने बताया कि इस पद्धति के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ा है। इससे चिकन गुनिया, जोड़ों के दर्द सहित विभिन्न रोगों का इलाज संभव है। बताया कि इस पद्धति के सात प्रमुख चक्र हैं। इसमें ब्रह्म, आज्ञा, कंठ, हृदय, मणिपुर, स्वाधिष्ठान व मूलाधार शामिल हैं। यह सबसे सरल, सस्ती एवं सुविधाजनक चिकित्सा पद्धति है। इसके उपचार करने में न कोई दवा दी जाती है और न ही इंजेक्शन का प्रयोग होता है। शरीर के जिस भाग पर दर्द होता है रेकी चैनल वहां अपने दोनों हाथों से स्पर्श क्रिया की विशेष पद्धति अपना कर इलाज किया जाता है और रोग ठीक हो जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर ने सुरक्षा चक्र प्रदान किया है जो हमारे शरीर की रक्षा करता है। जब सुरक्षा किरणें असमर्थ हो जाती हैं तभी हम बीमार पड़ते हैं। इस सुरक्षा किरणों को हम आभा मंडल कहते हैं। यह तीन भागों में बंटा है। कार्यशाला में रेकी की चिकित्सा पद्धति के बारे में लोगों को प्रशिक्षित किया गया। शिविर में उपचार कराने के लिए खासी संख्या में लोग आए। प्रशिक्षण में कृष्णाधर मौर्य, अवनीश राय, सुधाकर, राकेश कुमार, अर¨वद कुमार, प्रमिला तिवारी, अनुपमा आदि शामिल हुए।