किसानों के अरमानों पर पानी फेर रही प्रकृति
भांवरकोल (गाजीपुर) : क्षेत्र में करीब दो माह पूर्व आई बाढ़ तथा उसके बाद कई दिनों तक हुई बारिश ने
भांवरकोल (गाजीपुर) : क्षेत्र में करीब दो माह पूर्व आई बाढ़ तथा उसके बाद कई दिनों तक हुई बारिश ने किसानों को तबाह कर दिया है। बाढ़ से बाढ़ व करइल की खास तबाही हुई। खेतों में बोई गई ज्वार, बाजरा, उर्द, मूंग, अरहर की फसल नष्ट हो गईं। धान की फसल भी अधिकांश जगहों पर बर्बाद हो गई।
खरीफ की फसलों की बर्बादी के बाद किसान मटर की खेती पर उम्मीद लगाए लेकिन प्रकृति के साथ न देने के कारण उनका सपना भी साकार होता नजर नहीं आ रहा है। क्षेत्र में लगभग 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मटर की खेती की जाती है। बाढ़ का पानी निकलने के बाद किसानों ने लाखों रुपये का मटर का बीज खरीदकर बोआई के लिए रख लिया। बाढ़ के बाद हुई अत्यधिक बारिश से खेतों में जलजमाव हो गया है। इससे मटर की बोआई अधर में लटक गयी है। किसान अखिलेश राय, कवींद्र नाथ राय, बृजेंद्र नाथ राय, उपेंद्र राय, विजय कुमार राय, गौरीशंकर मिश्र, दयाशंकर मिश्र आदि ने बताया कि मटर बोए जाने वाले खेतों में अभी तक जलजमाव से उनके समझ में नहीं आ रहा है कि 100 रुपये से 210 रुपये प्रति किलो की दर से काफी मंहगे खरीदे गए मटर के बीज को अब क्या करें। बोआई में तेजी दिखाने पर बीज अंकुरित होने के बजाय सड़ने लगेंगे वहीं विलंब से बोआई करने पर पैदावार पर बुरा असर पड़ने की प्रबल आशंका है।
सचिवों के मनमानी से परेशान
भांवरकोल : साधन सहकारी समितियों पर कार्यरत सचिव की मनमानी से किसानों को रबी की खेती के लिए उर्वरक नहीं मिल रही है। लोचाईन के किसान उपेन्द्र राय, अवथही के दयाशंकर मिश्र, कनुवान गांव के श्रीनिवास राय राम एकबाल राय व श्रीराम राय आदि ने आरोप लगाया कि समिति के सचिव उच्चाधिकारी के आदेश का हवाला देते हुए यह कहकर उर्वरक देने से मना कर दिया जा रहा है कि खरीफ में लिए गए ऋण की अदायगी करने के बाद ही दिया जाएगा। विभागीय अधिकारी एआर प्रमोद कुमार ने बताया कि इस प्रकार का कोई आदेश सचिवों को नहीं दिया गया है। यदि सचिव ऐसा कहकर उर्वरक देने से मना कर रहे हैं तो यह उनकी मनमानी है। इस संबंध में सहायक विकास अधिकारी सहकारिता जेपी त्रिपाठी से बात करेंगे।