रचनाएं सुनाकर सोचने के लिए किया मजबूर
गहमर (गाजीपुर) : स्थानीय गांव के आशीर्वाद पैलेस में दो दिवसीय साहित्यकार सम्मलेन का समापन रविवार
गहमर (गाजीपुर) : स्थानीय गांव के आशीर्वाद पैलेस में दो दिवसीय साहित्यकार सम्मलेन का समापन रविवार की रात हुआ। कवियों ने अपनी रचनाओं को सुनाकर श्रोताओं को सोचने के लिए मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के पहले सत्र में मंत्री प्रतिनिधि मन्नू ¨सह, जिला पंचायत सदस्य मनीष ¨सह व भाजपा नेता सुनीता ¨सह ने देश के विभिन्न जगहों से आए रचनाकारों का स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र कवि सम्मेलन का रहा। मां सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम शुरू हुआ। पटना की कवियित्री आराधना प्रसाद ने 'चरागे मुहब्बत जलाने से पहले, इजाजत तो ले ले •ामाने से पहले' सुनाया। भोपाल से आए अशोक व्यग्र की कविता ' मलिन म्लान मुख मृदा मूर्ति मैं प्रणव प्राण भर दे, प्रखर प्रकाश ज्ञान का भरकर दिव्य ²ष्टि कर दे ' को लोगों ने काफी सराहा। भोपाल के ही अरुण अर्णव ने ' अधिक और खिल गई पूनम की वह रात, नजरें झुकाकर कह दी उसने मन की बात' सुनाया। आगरा के विनोद सांवरिया ने बेटी पर आधारित रचना 'श्रद्धा के बिना मन का हर भजन अधूरा है, कलियों के बिना सूना हर चमन अधूरा है। तुम लाख सजा लेना अपने घर आंगन को, बेटी के बिना घर का हर सृजन अधूरा है ' सुनकर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया। अलीगढ़ से आए कुमार संजय ने 'झूठ ही हंसना झूठ ही रोना झूठा कारोबार यहां, झूठ ही बिस्तर
झूठ ही चादर, झूठा है घर बार यहां' सुना कर समाज में नकली संबंधों पर व्यंग्य किया। जम्मू से पधारे प्यासा अंजुम ने ' हमको हर बार क्यों है टाला गया, आज का काम कल पर है डाला गया। ऊंचे-ऊंचे दिखाकर ख्वाब हमें, अपनी हर बात को उछाला गया ' सुनकर मंच को ऊंचाई प्रदान किया। कार्यक्रम रात दो बजे तक
चलता रहा। सम्मेलन में दानिश जयपुरी, उर्मिला साव, शांति कुमार स्याल, उर्मिला श्रीवास्तव, राम गरीब विकल, नीलम श्रीवास्तव, रमा वर्मा, नागेश शांडिल्य, अमर लाहतो, डा. संदीप आदि उपस्थित थे। संचालन मिथिलेश गहमरी ने किया।कार्यक्रम के आयोजक अखंड गहमरी ने सबका आभार व्यक्त किया।