नए इलाकों में बढ़ का पानी, जलस्तर है स्थिर
गाजीपुर: नए इलाकों को बाढ़ अपनी चपेट में लेती जा रही है। बावजूद इसके अभी तक गंगा के जलस्तर में कम
गाजीपुर: नए इलाकों को बाढ़ अपनी चपेट में लेती जा रही है। बावजूद इसके अभी तक गंगा के जलस्तर में कमी नहीं आ रही है।राहत की बात इतनी है कि बुधवार की सुबह चार बजे से जलस्तर 65.000 मीटर पर स्थित हो गया। देर शाम तक यही स्थिति बनी हुई थी। बाढ़ से घिरे लोगों का जीवन लगातार कठिन होता जा रहा है। इतने लंबे समय से बाढ़ में घिरे होने के कारण लोग जरूरी सामानों की किल्लत से जूझ रहे हैं। मदद के लिए बढ़े हाथ नाकाफी साबित हो रहे हैं। प्रशासन की ओर से भूसा आदि का प्रबंध किया जा रहा है लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। कहीं एक वक्त का भोजन मिल रहा है तो कहीं वह भी नदारद है।
जमानियां: बुधवार की सुबह 7 बजे के करीब राघोपुर गांव के सामने एनएच 24 के किनारे स्थित प्राचीन शिव मन्दिर बाढ़ के पानी के चलते भरभराकर गिर गया। संयोग ही रहा कि कोई हताहत नहीं हुआ। मंदिर के गिरते ही बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई। बाढ़ का पानी मंदिर के किनारे हिलोरें ले रहा था। मन्दिर के
सामने सड़क पर बने गड्ढे में पानी जमा होने से भारी मालवाहनों के आवागमन केदौरान मिट्टी दलदली हो गई थी। माना जा रहा है कि पानी के दबाव से नीव कमजोरपड़ गई। वर्ष 2013 में आई बाढ़ के दौरान भी बाढ़ का पानी मन्दिर के किनारे आ गया था।तब मिट्टी धंसने से मन्दिर की दीवारों में दरारें पड़ गई थीं । जिला पंचायत सदस्य बसंत यादव ने बताया कि सुबह श्रद्धालु मन्दिर के चबूतरे पर जमा थे । अचानक भरभराकर मन्दिर गिर गया। प्राचीन मन्दिर में हमेशा
श्रद्धालुओं का दर्शन पूजन के लिए तांता लगा रहता था। मन्दिर गिरने से
आस्थावानों को ठेस पंहुचा है।
करंडा:बाढ़ पिड़ितों की दशा दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। सोकनी,
बड़हरिया, बयेपुर, पुरैना, तुलसीपुर, शेरपुर, महबलपुर, सलारपुर सहित करीब
दो दर्जन गांव गंभीर रूप से प्रभावित हैं। मंगलवार को कुछ राहत शिविरों में प्रशासन की ओर से भोजन की व्यवस्था की गयी थी। मंगलवार को सोकनी गांव के शिवपूजन यादव की बाढ़ मे डूबने से मौत हो गयी। पुरैना निवासी कैलाश यादव को बिजली का करेन्ट लग गया। बाढ़ प्रभावित गांवों से लोगों का पलायन जारी है
क्षेत्र के ग्राम सभा गोशंदेपुर में लगभग एक किलोमीटरलंबा बंधा ग्रामीणों एवं प्रशासन के सहयोग से बांधा गया है। जब गंगा अपना
विकराल रूप धारण करने लगीं तब एसडीएम सदर बाढ़ पीड़ितों से मिलने गोशंदेपुर गांव में पहुंचे। यहां ग्रामीणों ने एसडीएम सदर से बंधा मरम्मत हेतु
जेसीबी मशीन की मांग रखी, जिस पर एसडीएम ने जिलाधिकारी से बात करके
व्यवस्था कराने की बात कहकर चले गये। जब सुबह कुछ ग्रामीण चंदा एकत्र करके बंधा पर कार्य कराये। दैनिक जागरण ने इसे प्रमुखता से उठाया तब जाकर प्रशासन की ¨नद्रा टूटी और दो जेसीबी मशीन मौके पर भेजी गई। अब
जेसीबी एवं गोशंदेपुर के सैकड़ों ग्रामीणों के सहयोग से रात दिन बन्धा
पर कार्य हो रहा है। ग्रामीण पूरी रात जागकर पहरेदारी कर रहे हैं। यदि यह
बंधा टूट जाता तो बंदीपट्टी, नुकुल का पुरा, आनापुर, कुचौरा तथा गोशंदेपुर का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता। गोशंदेपुर निवासी प्रभाशंकर ¨सह के देखरेख में सैकड़ों युवकों की टोली दिन रात लगी हुई है। ग्राम पाकड़पुर, दीनापुर, चतरपुरा, नोकुल क पुरा, पुरैना, तुलसीपुर, महावलपुर, सोलहनपुर, सिधारीपुर, कोटिया, धरम्मरपुर, नौदर क्षेत्रों के बाढ़
से प्रभावित पीड़ितों को राहत सामग्री मंत्री प्रतिनिधि जेपी चौरसिया ने वितरित किया। पीड़ितों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनकर अधिकारियों को राहत कार्य में तेजी लाने का आग्रह धर्मार्थ कार्य मंत्री विजय मिश्र के प्रतिनिधि कर रहे हैं। उनके साथ कानूनगो करंडा शिव नाथ राम, जिला पंचायत सदस्य पप्पू
यादव, पूर्व जिला पंचायत सदस्य राधेश्याम यादव, सुभाष यादव, जित्तन पहलवान, सुहेलखान, गुड्डू ¨सह प्रधान, संतोष यादव प्रधान, कमलेश यादव, इसलोक ¨बद प्रधान, नसीम अख्तर , बलकरन ¨बद प्रधान, हरिबंश यादव प्रधान,
कमलेश वर्मा, मनोज यादव, सतेंद्र ¨सह, मयंक तिवारी, रमेश गुप्ता, दुर्गेश
यादव, हरिहर यादव भी रहे।
गहमर: गंगा पूरी तरह से उफान पर है वहीं कर्मनाशा भी काफी तबाही मचा
रही है। स्थानीय गांव के बबूरहनी, चकवां, बाबागंज, साई का बेर, विन्द
बस्ती, भैरो राय,गोविन्द राय मुहल्ला पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। जिससे
इन मुहल्लों के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा
है। बारा, कुत्तुबपुर, मगरखाईं, भतौरा, मनिहर वन राजभर बस्ती, सायर, राजमल
बांध, खुदरा, गदाईपुर आदि गांव बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर गए हैं। लोगों को
दैनिक आवश्यकता के सामानों के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गंगा के बाढ़ का पानी मां कामाख्या धाम स्थित पावर हाउस के नीचे तक पहुंच
गया है जिससे सीरपुर, नगदिलपुर, हसनपुरा, बीरउपुर, अठहठा आदि गांवों का संपर्क टूट गया है। इन गांवों के लिए नाव की व्यवस्था की गयी है। लोगों का
कहना था कि पांच गावों के लिए महज चार नाव से काम नहीं चल पा रहा है। लोग
जरूरत के सामान एवं पशुओं के चारे के लिए मां कामाख्या धाम आ रहे हैं। इनके
बचाव के लिए जिला प्रशाशन द्वारा एनडीआरएफ की टीम एवं नाव की व्यवस्था
की गयी है। इन गांव के बाढ़ पीड़ितों ने आरोप लगाया कि जिन्हें नाव से इस पार
या उस पार जाने की सही में जरुरत है वो नाव का घाट पर बैठकर घंटों इंतजार
करते रह जा रहे हैं और बाढ़ के पानी में सैर करने वाले नाव ले कर तफरी कर
रहे हैं जिससे काफी परेशानी हो रही है। कुछ बाढ़ पीड़ितों का कहना था कि बाढ़ पीड़ित गांवों की बिजली काट दिए जाने से गांव अंधेरे में हैं। ऐसे
में मिट्टी का तेल अब तक गांवों में नहीं पंहुचा, ना हीं चिकित्सा के लिए चिकित्सकों की कोई टीम अब तक पहुंची। घाटों पर भी प्रकाश की व्यवस्था नहींहोने से मल्लाहों एवं बाढ़ पीड़ितों को दिक्कत हो रही है। कहने के लिए तो मां कामाख्या धाम में शरणार्थियों के शिविर बना हैलेकिन वहां खाने-पीने की व्यवस्था न के बराबर है जिससे लोग भूखे प्यासे रहने को विवश हैं।