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अब तो नए इलाकों में दस्तक देने लगी बाढ़

गाजीपुर: जिले में बाढ़ का कहर जारी है। हालांकि बीती रात से गंगा में बढ़ाव की रफ्तार कम तो हुई है

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 01:00 AM (IST)
अब तो नए इलाकों में दस्तक देने लगी बाढ़

गाजीपुर: जिले में बाढ़ का कहर जारी है। हालांकि बीती रात से गंगा में बढ़ाव की रफ्तार कम तो हुई है लेकिन मुश्किलें अभी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पुराने इलाके के लोग तो परेशान हैं ही अब नए इलाकों में भी बाढ़ दस्तक देने लगी है। मुहम्मदाबाद के करईल इलाके में गंगा का पानी प्रवेश करने लगा है। लोग गांव छोड़कर भाग रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों के सामने रहने व खाने पीने की समस्या खड़ी हो गई है।

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इधर जिला प्रशासन ने राहत कार्य में अपना पूरा जोर लगा दिया है। जिलाधिकारी सहित तमाम अधिकारी बाढ़ क्षेत्रों का दौरा कर वहां राहत सामग्री उपलब्ध कराने में जुटे हुए हैं। वहीं कई स्वयंसेवी संस्थान, समाजसेवी व राजनीतिक लोगों ने भी अपने स्तर से राहत कार्य में हाथ बढ़ाया है। बाढ़ की विकरालता को देखते हुए मंगलवार को उड़ीसा से एनडीआरफ की और टीमें मंगलवार को जिले में पहुंच गई। उन्होंने अति बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में रेस्क्यू आपरेशन शुरू कर दिया है। सोमवार की रात से गंगा के बढ़ाव की रफ्तार कम हो गई। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को दिन में जलस्तर एक सेमी प्रति घंटा बढ़ रहा था जबकि रात में यह रफ्तार आधा सेमी प्रति घंटा हो गया। वहीं मंगलवार को दिन में भी यही रफ्तार बना रहा। मंगलवार की सुबह सात बजे गंगा का जलस्तर 64.910 मीटर और शाम पांच बजे 64.960 मीटर मापा गया। खतरे का निशान 63.105 मीटर है। 2013 में गंगा का अधिकतम जलस्तर 65.220 मीटर और 1978 में अधिकतम जलस्तर 65.250 मीटर तक पहुंचा था।

बाढ़ में पलटी नाव

रेवतीपुर: क्षेत्र के गोपालपुर में मंगलवार की दोपहर सिवान मे डेरा से प्याज व टीन शेड लेकर आ रही छोटी नाव डूब गयी। यह देख ग्रामीणों में अफरातफरी मच गई। नाव में सवार सुभाष कुशवाहा, आकाश कुशवाहा, बबलू यादव, रामवतार पासवान व जितेंद्र कुशवाहा किसी तरह तैर कर बबूल के पेड़ को पकड़ लिए। वहां से कुछ दूरी पर दूसरी नाव लेकर पहुंचे मल्लाहों ने किसी तरह उनकी जान बचाई। नाव डूबने से आक्रोशित ग्रामीण प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। ग्रामीण ओमप्रकाश कुशवाहा, रामशीष कुशवाहा, धर्मेंद्र भारती, रवींद्र राम, जगनरायन कुशवाहा व अर्जुन आदि का कहना है कि आज तक लेखपाल व अधिकारी हमारे यहां नहीं आये। बार-बार मांग करने बाद भी बड़ी नाव नहीं दिया गया, जब कि बहुत से लोग डेरे पर फंसे हुए हैं।

जब खुद फंसी एनडीआरएफ टीम

गहमर: क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए आए एनडीआरएफ के जवानों को उस समय सहायता की जरुरत पड़ गयी जब वो बाढ़ से घिरे ग्रामीणों को रस्क्यू कर रहे थे। सोमवार की रात आठ बजे इस टीम के पास बीरउपुर गांव से ग्रामीणों का एक फोन आया कि हमारी जान जोखिम में है, हमें तुरंत सहायता की आवश्यकता है। सूचना मिलते ही एनडीआरएफ का दल उनकी सहायता के लिए तुरंत निकल पड़ा। दल जैसे ही उस गांव के समीप पहुंचा, इसी दौरान बाढ़ में ध्वस्त हुई झोपड़ी में फंसी रस्सी बोट में बुरी तरह से उलझ गयी। रस्सी फंस जाने के कारण इनकी बोट उस जगह से हिल भी नहीं पा रही थी। जवानों ने इसकी सूचना अपने दूसरी टीम को दिया। तत्पश्चात दूसरी टीम मौके पर पहुंची और पानी में कूदकर जैसे ही रस्सी को निकाला वैसे ही हवा का तेज झोंका एवं पानी की तेज लहरों ने बोट सहित जवानों को उछाल दिया। जवान बोट सहित एक दीवाल से टकराकर असंतुलित हो गए। यह दृश्य देख उस गांव के एक साहसी युवक सिकंदर राजभर ने पानी में कूद जवानों की जान बचाने के साथ-साथ उनकी बोट में फंसी रस्सी को किसी तरह काटकर अलग किया। उक्त युवक की एनडीआरएफ के जवानों ने भी तारीफ की।


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