आस्था का केंद्र चौमुखनाथ धाम
देवकली(गाजीपुर) : देवकली ब्लाक मुख्यालय से नौ किमी उत्तर पश्चिम धुवार्जुन ग्राम में स्थित बाबा चौ
देवकली(गाजीपुर) : देवकली ब्लाक मुख्यालय से नौ किमी उत्तर पश्चिम धुवार्जुन ग्राम में स्थित बाबा चौमुखनाथ धाम परिसर में श्रावण मास में मेले जैसा दृश्य हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त
चौमुखनाथ धाम में मत्था टेककर पूजन अर्चन करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। धाम के पास ही पोखरा है जिसमें स्नान कर श्रद्धालु भक्त शिव¨लग पर जल चढ़ाते है। पास में ही विशाल ताल है जिससे खरारी नदी निकलकर गंगा में जाकर मिलती है।
सैकड़ों वर्ष पूर्व मंदिर के चारों तरफ घनघोर जंगल था। उसी जंगल में कबीर पंथी मठ था। जो आज भी विद्यमान है। मठ पर एक साधु रहते थे जो गाय पालने के शौकीन थे। एक दिन गाय चराने के लिए जंगल में गए। उनकी गाय एक टीले पर खड़ी हो गई। गाय के थन से दूध बहने लगा। साधु ने नजदीक जाकर देखा तो चौमुखी शिव¨लग दिखाई दिया। ग्रामीणों के सहयोग से खोदाई शुरू किया गया। ज्यों-ज्यों गहराई बढ़ती गई शिव¨लग मोटा होता गया। अंत में जमीन से पानी निकल आया। परंतु शिव¨लग की लंबाई का पता नहीं चल सका। अंत में वहीं पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। शिव¨लग का मुख चारों तरफ होने से मंदिर का द्वार चारों तरफ बनाया गया है। इससे इस स्थान का नाम चौमुखनाथ धाम पड़ा। बाबा चौमुखनाथ धाम समिति के अध्यक्ष बेचन राय ने बताया कि प्राचीन व दुर्लभ शिव¨लग होने के बावजूद अब तक पुरातत्व विभाग व शासन द्वारा मंदिर व पोखरा के सुंदरीकरण के लिए एक फूटी कौड़ी नहीं दी गई। मंदिर से एक किमी दूर भितरी शादियाबाद मार्ग पर विशाल भव्य द्वार 50 फुट ऊंचा बनाया गया है। द्वार पर शंकर, गणेश सहित पांच देवताओं की मूर्ति स्थापित है। पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। परिसर के समीप विवाह मंडप, मैरेज हाल व जीर्ण शीर्ण पोखरे की मरम्मत कर पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। परिसर में पहुंचते ही सुख-शांति का अनुभव होता है। पूरे श्रावण मास में कांवरियों द्वारा जल चढ़ाया जाता है। शासन, प्रशासन, पुरातत्व विभाग द्वारा उपेक्षित होने से पूर्ण रुप से उपेक्षित है।