जलाते नहीं, शव का करते जलप्रवाह
जागरण विशेष --------- - गंगा के स्वच्छता अभियान में बाधक है मान्यता - केंद्रीय मंत्री कलराज
जागरण विशेष
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- गंगा के स्वच्छता अभियान में बाधक है मान्यता
- केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र का है पैतृक गांव
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जागरण संवाददाता, गाजीपुर : केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के पैतृक गांव मलिकपुर में वर्षो से कायम एक परंपरा का आज भी उतनी ही शिद्दत से पालन किया जाता है। वैज्ञानिक युग में गुजर बसर कर रहे इस गांव के लोग शवों को जलाने के बजाए नदी में प्रवाहित करते हैं। गंगा किनारे बसे गांव के लोग अपनी मान्यता को लेकर दृढ़ हैं। हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि उनकी इस मान्यता से मोक्षदायिनी गंगा दूषित हो रही हैं।
सैदपुर ब्लाक के मलिकपुर गांव की आबादी करीब दो हजार है। गांव में सर्वाधिक ब्राह्मणों की संख्या के अलावा अन्य जाति के लोग भी निवास करते हैं। शव जलाने के नाम से भी गांव के लोगों की रूह कांप जाती है। उनका मानना है कि शव को जलाया तो परिवार पर आपदा आ जाएगी, जो रोके नहीं रुकेगी।
केंद्रीय मंत्री कलराज के भतीजे ओमकार सिंह बेनी ¨सह इंटर कालेज के प्रधानाचार्य हैं। वे कहते हैं कि करीब पांच पीढ़ी पहले यहां शवों को जलाया जाता था। गांव में चेचक का प्रकोप आया। इस दौरान लोग एक शव को जलाकर आते तो दूसरा कोई गांव में मृत दिखता। जब यह सिलसिला लंबा दो चार दिनों तक चला तो परेशान ग्रामीणों ने शव का जलप्रवाह करना शुरू कर दिया। गांव वालों का मानना है कि प्रवाह करने से ही मौतों का क्रम रुका।
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किसी ने इसे रोकने का
कभी नहीं किया प्रयास
इस परंपरा को तोड़ने के लिए कभी किसी ने प्रयास तक नहीं किया। इस गांव में उच्च शिक्षित लोगों की कोई कमी नही है। ग्रामीणों से पूछा गया कि भविष्य में सरकार कानून बनाकर ऐसा करने से रोक देगी तब क्या होगा। उनका सीधा जवाब था, तब की तब देखेंगे। हालांकि, सभी ने माना कि शवों के जल प्रवाह से गंगा प्रदूषित होती हैं, लेकिन उन्हें अपनी मान्यता की ¨चता अधिक है।
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