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माता-पिता की सेवा से मिलती ही भगवान की भक्ति

मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : बरेजी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार की रात में त्र

By Edited By: Published: Sun, 29 May 2016 07:26 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2016 07:26 PM (IST)
माता-पिता की सेवा से मिलती ही भगवान की भक्ति

मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : बरेजी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार की रात में त्रिदंडी स्वामी महाराज ने कहा कि कलियुग में माता-पिता की सेवा करना ही भगवान की भक्ति है। जो माता पिता का निरादर करते हैं वे हमेशा परेशान रहते हैं। उन्होंने कहा कि धुंधकारी ने जब अपने पिता से कहा कि हमें धन दो नहीं तो मैं तुम्हें मार डालूंगा। इस बात को सुनकर उसके पिता रोने लगे तब गोकर्ण ने उसे समझाया कि हाड़ मांस के बने पुत्र व पत्नी से इतनी आशक्ति क्यों अब अपना मन भजन में लगायें सदगति प्राप्त होगी । मनुष्य की जब उम्र 50 को पार करने लगती है तो वन गमन के संकेत आने लगते हैं। अगर घर में रहना है तो केवल अतिथि व सलाहकार बनकर रहें। अगर इस उम्र में भी धन के प्रति आशक्ति रही तो केवल कष्ट ही मिलेगा। धुंधकारी ने अपने पिता का अपमान किया तो उसे प्रेत योनि मिली। जब गोकर्ण ने उन्हें श्रीमद्भागवत कथा सुनाई तो उन्होंने प्रेतयोनि से मुक्ति पायी। इस अवसर पर गिरिजा प्रधान,रविशंकर प्रधान,अमरेश प्रधान,दयाशंकर प्रधान,गोरख यादव आदि मौजूद थे।

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