पूर्वांचल की माटी से प्रो.केदारनाथ कविता का संबंध
गाजीपुर : पीजी कालेज के टेरी स्थित सभागार में बुधवार को बुद्धिजीवियों एवं साहित्याकारों का जमावड़ा
गाजीपुर : पीजी कालेज के टेरी स्थित सभागार में बुधवार को बुद्धिजीवियों एवं साहित्याकारों का जमावड़ा रहा। इस मौके पर समालोचक डा.पीएन ¨सह की पुस्तक 'नामवर : संदर्भ और विमर्श' के विमोचन पर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम में आए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.केदारनाथ ¨सह को महाविद्यालय के प्रबंधक अजीत ¨सह ने अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण से हुई। प्रो.सदानंद शाही ने प्रो.केदारनाथ का परिचय कराया। कहा कि फिराग गोरखपुरी के बाद प्रो. ¨सह दूसरे विद्वान हैं जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इनकी कविता का संबंध सदा ही पूर्वांचल की माटी से रहा है। इसमें कबीर, रैदास एवं बुद्ध के विचारों की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। प्रो.केदारनाथ ¨सह ने कहा कि उनका संबंध इस जनपद से काफी पुराना रहा है। उनका जन्म जब हुआ तो बलिया इस जनपद की तहसील हुआ करती थी। उन्होंने अपने पुराने मित्रों डा.विवेकी राय, डा.जितेंद्रनाथ पाठक, एवं डा.पीएन ¨सह का आभार प्रकट करते हुए कहा कि मिट्टी की पहचान बदल रही है लेकिन उनकी नजर में उसका मूल समाप्त नहीं हुआ है। संस्कृति, कला एवं भाषा के क्षेत्र में काफी काम करना है। इस दौरान डा.धर्मनारायण मिश्र, डा.अनिल कुमार ¨सह, डा.बीडी मिश्र, प्रो. महेंद्र प्रताप ¨सह, डा.कुलदीप पांडेय, डा.राहुल आदि थे। प्राचार्य डा.हरिहर प्रसाद ¨सह ने आए हुए लोगों का आभार जताया। संचालन डा.संजय चतुर्वेदी ने किया।