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स्टीमर का संचालन बंद होने पर फूटा गुस्सा

जमानियां (गाजीपुर) : गंगा में बेतहाशा जलवृद्धि को देखते हुए उपजिलाधिकारी के निर्देश पर रविवार को

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 07:40 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 07:40 PM (IST)
स्टीमर का संचालन बंद होने पर फूटा गुस्सा

जमानियां (गाजीपुर) : गंगा में बेतहाशा जलवृद्धि को देखते हुए उपजिलाधिकारी के निर्देश पर रविवार को पुलिस ने स्थानीय घाट से धरम्मरपुर घाट के बीच नावों व स्टीमर का संचालन बंद करा दिया। इसे लेकर करंडा क्षेत्र के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। दोपहर दो बजे ग्रामीण कोतवाली पंहुचे। इसके बाद एसडीएम से मिलकर स्टीमर चलवाने की मांग की। दोपहर तीन बजे के करीब एसडीएम के निर्देश पर चार घंटा बाद स्टीमर का संचालन शुरू हुआ।

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स्टीमर व नाव का संचालन बंद होने से नदी पार कर करंडा क्षेत्र में जाने वाले सैकड़ों लोगों का भीड़ घाट पर लग गई। वहीं नदी उस पार भी सैकड़ों लोग फंस गए। पहली बार ऐसा हुआ है जब लोक निर्माण विभाग की देखरेख में चलने वाले स्टीमर का संचालन भी बंद करा दिया गया है। प्रशासन की ओर से इसकी पूर्व सूचना भी नहीं दी गई। गुस्साए लोगों का कहना था कि स्टीमर का संचालन बंद होने से परेशानी बढ़ गई। नदी उस पार जाने के लिए जिला मुख्यालय होते हुए 70 किमी की दूरी तय कर सड़क मार्ग से जाना पड़ेगा। घाट पर छोटे छोटे बच्चों के साथ भूख प्यास से लोग बेहाल नजर आए। लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता रामानंद ने कहा कि स्टीमर बंद करने के लिए विभाग को अभी तक कोई आदेश नहीं मिला है। पुलिस ने स्टीमर का संचालन बंद कराया है। इधर, कोतवाली प्रभारी दिनेशचंद्र मिश्र ने कहा कि एसडीएम के आदेश पर नाव व स्टीमर का संचालन बंद कराया गया है। एसडीएम राजकुमार ने बताया कि गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। ओवरलोड नाव व स्टीमर को बंद कराया गया है। जब उनको बताया गया कि स्टीमर लोक निर्माण विभाग की देखरेख में चलता है। तब उन्होंने कहा कि देखता हूं क्या हो सकता है।

घटने लगा जलस्तर

जमानियां : कई दिनों से उफान मार रही गंगा का जलस्तर रविवार को घटाव पर रहा। दोपहर तीन बजे तक करीब आधा मीटर पानी घट गया। पानी बढ़ने से बाढ़ की आशंका से भयभीत तटवर्ती इलाके के लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली हालांकि खतरा अभी पूरी तरह से टला नही है।

बाढ़ से बचाव के लिए नहीं बनी राहत चौकी

जमानियां : गंगा का पानी बढ़ने से तटवर्ती इलाके के लोग भयभीत हैं। लोग वर्ष 2013 में आई भयानक बाढ़ को याद कर सिहर जा रहे हैं। बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी ठोस उपाय नहीं कर रहे हैं। बाढ़ से बचाव के लिए न तो राहत चौकियां बनाई गई हैं और न ही नावों को ही चिह्नित किया गया है। ऐसे में अचानक पानी बढ़ा तो सिवाय बर्बादी का तमाशा देखने के कोई विकल्प नहीं होगा। अधिकारियों की लापरवाही का यह आलम तब है जब क्षेत्र सूबे के दो कैबिनेट मंत्री व केंद्र सरकार के रेल राज्य मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ा है।


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