नीमहकीमों पर कसेगा शिकंजा
गाजीपुर : इसे अधिक काम का बोझ कहेंगे या पुलिस की लापरवाही., मुकदमा दर्ज करने के सालों बाद भी कुछ माम
गाजीपुर : इसे अधिक काम का बोझ कहेंगे या पुलिस की लापरवाही., मुकदमा दर्ज करने के सालों बाद भी कुछ मामलों में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है। ऐसा ही मामला स्वास्थ्य विभाग का है। विभाग द्वारा दर्जनों नीमहकीमों व अवैध रूप से संचालित निजी अस्पतालों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई गई, लेकिन सालों गुजरने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पाई है। सीएमओ डा.एमपी ¨सह ने खुद पुलिस अधीक्षक से मिलने का निर्णय लिया है।
जिले में सैकड़ों ऐसे छोटे-छोटे क्लिनिक एवं निजी अस्पताल हैं जो अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। कुछ लोगों को अगर छोड़ दिया जाए तो इनके पास न तो कोई वैध डिग्री है और न ही स्वास्थ्य विभाग में कोई पंजीकरण। इसका खामियाजा उन निरीह मरीजों को भुगतना पड़ता है जो उनके पास इलाज के लिए जाते हैं। एक तो ढंग से इलाज नहीं करते और अनाप-शनाप दवा लिख देते हैं। इससे अधिकतर मरीजों की हालत और बिगड़ जाता है और उनसे मोटी रकम भी वसूल ली जाती है। ऐसे में लुटे-पिटे मरीजों को जिला अस्पताल या अन्य अस्पतालों का रूख करना पड़ता है। इस तरह के नीमहकीमों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग डिप्टी सीएमओ डा. आरके मेहरा के नेतृत्व में समय-समय पर छापेमारी अभियान चलाता है। आरोपियों के खिलाफ संबंधित थाने में तहरीर दी जाती है, लेकिन पुलिस उसको ठंडे बस्ते में डाल देती है। फिलहाल सदर कोतवाली सहित कई थानों में ऐसे दर्जनों मामले महीने एवं सालों से पड़े हुए हैं, लेकिन पुलिस सिर्फ कार्रवाई का कोरम पूरा करती है। इससे आरोपी नीम-हकीम निडर होकर अपना धंधा चला रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग अपने को असहाय महसूस कर रहा है। डा. आरके मेहरा बताते हैं कि वह कई बार रिमांडर भी दे चुके हैं लेकिन पुलिस को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
रखेंगे अपनी बात..
- नीमहकीमों पर स्वास्थ्य विभाग छापेमारी कर क्या करेगी, उन पर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार तो पुलिस को है। तहरीर देने के बाद भी मामला जस का तस पड़ा हुआ है। इस संबंध में वह खुद पुलिस अधीक्षक से मिलकर अपनी बात रखेंगे और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे। - डा. एमपी ¨सह, मुख्य चिकित्साधिकारी।