..तो अब वैन से स्कूल जाएंगी मैडम जी
गाजीपुर : परिषदीय विद्यालयों में तैनात महिला शिक्षकों को स्कूल आने-जाने के लिए अब बस के धक्के नहीं ख
गाजीपुर : परिषदीय विद्यालयों में तैनात महिला शिक्षकों को स्कूल आने-जाने के लिए अब बस के धक्के नहीं खाने होंगे। मैडम जी के लिए अब निजी वैन की व्यवस्था की जाएगी। यह वैन रोज सुबह उन्हें घर से स्कूल तक छोड़ेगी और शाम को घर भी ले आएगी। यह नई पहल बेसिक शिक्षाधिकारी चंद्रकेश सिंह यादव ने की है ताकि परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति की समस्या दूर की जा सके।
जिले में ढाई हजार से अधिक परिषदीय विद्यालय हैं। फिलहाल इन विद्यालयों में 56 सौ शिक्षक, सत्रह सौ टीईटी प्रशिक्षु शिक्षक एवं लगभग 28 सौ शिक्षा मित्र तैनात हैं। इसमें लगभग चालीस फीसद महिलाएं हैं। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए अधिकतर महिला शिक्षक शहर में ही रहती हैं और वहीं से अपने स्कूल जाती हैं। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग ने महिलाओं की तैनाती शहर के आसपास के स्कूलों में ही किया है, फिर भी उन्हें रोज घर से स्कूल जाने एवं स्कूल से घर आने में काफी समस्या उठानी पड़ती है। कुछ शिक्षक स्कूटी आदि का सहारा तो लेती हैं लेकिन यह भी सुरक्षित नहीं माना जाता। ऐसे में अधिकतर महिला शिक्षक बस या आटो से ही स्कूल आती-जाती हैं। इससे उनके परिजनों में हमेशा किसी अनहोनी को लेकर भय बना रहता है। इससे बड़ी समस्या यह कि महिला शिक्षक भी समय से स्कूल नहीं पहुंच पाती हैं। इसमें से कुछ तो वास्तव में आवागमन की समस्या से जूझ रही होती हैं तो कुछ के लिए बहाना भी बन जाता है। इसका सीधा प्रभाव स्कूल में पढ़ रहे बच्चों पर पड़ता है। उनकी न तो ढंग से पढ़ाई हो पाती है और न ही अनुशासन सीख पाते हैं।
महिला शिक्षकों का बनेगा ग्रुप
-यह व्यवस्था फिलहाल शहर में रहने वाली शिक्षकों के लिए शुरू की जा रही है। इसके तहत हर क्षेत्र में पढ़ाने वाली शिक्षकों का अलग-अगल ग्रुप बनाया जाएगा। प्रत्येक ग्रुप के लिए एक निजी वैन की व्यवस्था की जाएगी। यह वैन ग्रुप की सभी शिक्षकों को उनके घर से एकत्र करेगी और उनके स्कूल तक छोड़ेगी। फिर अंतिम स्कूल में वह खड़ी हो जाएगी। शाम को स्कूल बंद होने पर वहां से सभी फिर एकत्र करेगी और उनके घर तक छोड़ेगी। वैन की व्यवस्था तो बीएसए करेंगे लेकिन उसका खर्च शिक्षकों को ही उठाना होगा।
सुरक्षित व समय से पहुंचेंगी स्कूल
- स्कूल वैन से महिलाएं अपने स्कूल समय से एवं सुरक्षित पहुंच जाएंगी। इससे उन्हें बस का इंतजार नहीं करना होगा और न ही मौसम का सितम ही झेलना होगा। यह व्यवस्था हमने बरेली में शुरू की थी जो काफी सफल रही।
- चंद्रकेश सिंह यादव, बीएसए।