बहन को बचाने में बना आग का गोला
करंडा (गाजीपुर) : मैनपुर में शुक्रवार की सुबह अगलगी में काल के गाल में समाए सरफराज ने महज दस साल की
करंडा (गाजीपुर) : मैनपुर में शुक्रवार की सुबह अगलगी में काल के गाल में समाए सरफराज ने महज दस साल की उम्र में बहन की रक्षा के प्रति भाई के फर्ज को निभाया। यह अलग बात रही कि वह महज एक साल की बहन खुशबू को नहीं बचा सका, लेकिन खुद की भी जान दे दी। मरकर भी सरफराज ने जिस दिलेरी का परिचय दिया उससे वह औरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया।
जब्बार अहमद को पता भी नहीं रहा होगा कि जिन पांच संतानों को वह घर पर छोड़कर जा रहा है, उन पर विपत्ति टूट पड़ेगी। करीब नौ बजे आग लगने के बाद रिहायशी झोपड़ी को लपटों ने पूरी तरह से आगोश में लिया, उस दौरान सरफराज भागकर बाहर आ गया था। उसने चीखकर आसपास के लोगों को बुलाया, ग्रामीण आकर तीन बच्चों को तो बचा लिए, लेकिन खुशबू अंदर ही छूट गई। इसके बाद आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी। अंदर से खुशबू के रोने की आवाज सुन सरफराज खुद की परवाह किए बगैर लपटों को चीरते हुए अंदर पहुंच गया। वहां जल रही खुशबू को उठाकर अपने सीने से लगा लिया, लेकिन दोनों बाहर नहीं निकल सके और मौत के आगोश में चले गए।
..और रो पड़ा हर शख्स
मैनपुर में अगलगी से दो मासूमों की मौत के गम में पिता जब्बार के अलावा मां का तो रोते-रोते बुरा हाल ही था, जो कोई भी मौके पर पहुंचा हृदय विदारक घटना सुन रो पड़ा। सब उस समय को कोस रहे थे, जब झोपड़ी में आग लगी। उधर बेसुध पड़े जब्बार को गृहस्थी की बर्बादी की सदमा गम दो संतानों के मरने का ज्यादा लगा था। गत 16 मार्च को चचेरे भाई की हत्या के सदमे से नहीं उबर सके जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन अरुण कुमार सिंह मौके पहुंचे तो उनकी आंखों से भी आंसू छलक आए। ग्रामीणों में प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा था।
100 नंबर पर नहीं रिसीव हुई काल
मैनपुर में आग लगने की जानकारी जैसे ही ग्रामीणों को हुई वे मौके की तरफ दौड़ पड़े। सुशील दुबे का कहना है कि उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर काल किया, घंटी बजती रही लेकिन रिसीवर नहीं उठा। इसके बाद जिला मुख्यालय पर ड्यूटी कर रहे थानाध्यक्ष करंडा को जानकारी दी तो वे भागकर मौके पर पहुंचे।
डेढ़ घंटे बाद पहुंचा दमकल
आग बुझाने की जिम्मेदारी अग्निशमन बल के जवान किस तत्परता से निभाते हैं, यह देखने को मिला मैनपुर में। सूचना दिए जाने के डेढ़ घंटे बाद दमकल पहुंचा, तब तक झोपड़ी का अधिकांश हिस्सा, पशु, खाद्यान्न और दोनों मासूम राख में तब्दील हो चुके थे।
हैंडपंप भी नहीं आया काम
अगलगी स्थल के ठीक बगल में जलनिगम द्वारा सरकारी हैंडपंप लगवाया गया है। आग पर काबू पाने के लिए ग्रामीण जब हैंडपंप के पास पहुंचे तो वह खराब पाया गया। इसके चलते व्यवस्था को लोग कोसते रहे।
तहसीलदार ने की सहायता
अगलगी के बाद सदर तहसीलदार ने मौके का जायजा लिया। उन्होंने कोटेदार को पीड़ित परिवार को तत्कालिक सहायता के रूप में खाद्यान्न देने का निर्देश दिया। साथ ही प्रशासनिक स्तर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।