विश्व टीबी दिवस पर निकाली जागरूक रैली
गाजीपुर : विश्व टीबी दिवस पर मंगलवार को जिला क्षय रोग विभाग की ओर से जागरुकता रैली निकाली गई। इस
गाजीपुर : विश्व टीबी दिवस पर मंगलवार को जिला क्षय रोग विभाग की ओर से जागरुकता रैली निकाली गई। इस क्रम में गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इसमें लोगों को टीबी रोग, उसके इलाज एवं बचाव के बारे में बताया गया। रैली को सदर एसडीएम अरुण कुमार सिंह ने कलेक्ट्रेट से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली कचहरी रोड, महुआबाग, मिश्र बाजार होते हुए जिला अस्पताल पहुंच कर समाप्त हो गई। रैली में शामिल लोगों के हाथों में तख्ती पर जागरुकता संदेश लिए हुए थे। इस दौरान जिला अस्पताल स्थित जिला क्षय रोग विभाग में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में जिला क्षय रोग अधिकारी डा.सीएम पांडेय ने आरएनटीसीपी योजना के बारे में जानकारी दी। कहा अब मरीज को एक्स-रे की अनिवार्यता की जगह बलगम की जांच को प्राथमिकता दी जा रही है। इस रोग से भारत में प्रति मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही है। इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। गोष्ठी में महिला बाल कल्याण समिति सहित अन्य संगठनों के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। गोष्ठी में डा. अशोक कुमार, डा. डीपी सिन्हा, सीएमएस डा. केडी द्विवेदी के अलावा संजय सिंह यादव, सुनील कुमार वर्मा, डा. धीरेंद्र प्रताप सिंह, जितेंद्र कुमार तिवारी आदि मौजूद थे।
टीबी के लक्षण
- दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक लगातार खांसी का आना।
- विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला बुखार, वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द एवं बलगम के साथ खून आना।
ऐसे फैलता है रोग
- केवल फेफड़ों का टीबी रोगी ही इसे दूसरों को फैला सकता है।
- फेफड़ों के टीबी के रोगी के बलगम में में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं।
- ये जीवाणु खांसने, छींकने एवं थूकने से हवा में फैल जाते हैं, ओर सांस द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंच कर रोग उत्पन्न करते हैं।
इसकी जांच
- रोगी के बलगम की जांच करवाने पर फेफड़ों की टीबी का पता चल सकता है। यह सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निशुल्क होती है।
- बलगम के दो नमूनों की जांच होती है।
- फेफड़ों के अलावा अन्य अंगो में भी टीबी होती है, जिसकी जांच प्रभावित अंगों के अनुसार की जाती है।
- टीबी का इलाज.
- टीबी के इलाज के लिए जिले में डाट्स प्रणाली लागू की गई है। इसमें टीबी के मरीजों को दवाइयां प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा खिलाई जाती है।
- टीबी के सफल इलाज के लिए पूरी अवधि छह-छह महीने तक दवाइयां खानी जरुरी है।
- इलाज को बीच में छोड़ने पर दवा का असर समाप्त हो जाता है और टीबी लाइलाज बन जाती है।
- केवल डाट्स द्वारा ही 95 फीसद रोगियों का इलाज संभव है।
टीबी की ऐसे करें रोकथाम.
- रोगी शीघ्र जांच एवं पूर्ण अवधि तक इलाज कराए।
- खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल या साफ कपड़ा रखें।
- इधर-उधर थूकने के बजाय केवल थूकदान एवं बहते पानी में ही थूकें।