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जिंदगी में बड़ी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार..

गाजीपुर : 'जिंदगी में बड़ी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार कि, परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें'

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 01:00 AM (IST)
जिंदगी में बड़ी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार..

गाजीपुर : 'जिंदगी में बड़ी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार कि, परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें'। वैसे तो यह वाक्य आम हो चला है लेकिन अगर कोई इसे अपनी जिंदगी में उतार ले तो वह मिसाल बन जाता है। यह संदेश मात्र कुछ दिन पहले वाट्सएप पर अपने चाचा ज्ञान प्रकाश राय को भेजा था शहीद एमएन राय ने। यह उनका अंतिम संदेश बन गया । शायद चाचा उस समय एहसास नहीं का पाए भतीजे के इस संदेश की गहराई को। अब उसका एक-एक शब्द दिल में शूल बनकर चुभ रहा है।

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नगर के चंदननगर कालोनी में राय परिवार के घर कल भी लोगों की भीड़ थी और आज भी है। फर्क सिर्फ इतना कि कल लोग नागेंद्र प्रसाद राय के बेटे के वीरता पर मिले पुरस्कार की बधाई दे रहे थे और आज उनके शहीद होने पर सांत्वना। शहीद भारत के इस सपूत के माता-पिता की आंखों में कल भी आंसू थे और आज भी हैं। इसमें फर्क महज यह कि कल बेटे को वीरता के लिए मिले सम्मान की खुशी के आंसू थे और आज उसके शहीद होने पर गम के। चाहे वीरता पुरस्कार का मिलना हो चाहे शहीद होने की बारी, बेटे की हर अदा माता-पिता के दिल में घर कर गई। कल शाम ढलने के पहले की खुशी दिल में नहीं समा रही थी और उसके बाद टूटे विपत्ति के पहाड़ के बोझ से कलेजा फटा जा रहा। वैसे तो सभी के जिंदगी में सुख-दुख एवं हंसना-रोना लगा रहता है, पर जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी एवं सबसे बड़े दुख का अंतर इतना कम होगा, यह परिवार वालों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। शहीद होने के एक दिन पहले ही गणतंत्र दिवस पर कर्नल एमएन राय के लिए वीरता पुरस्कार की घोषणा हुई थी। अभी तो उस खुशी में सभी परिजन एवं जान-पहचान के लोग हिस्सेदार भी नहीं बन पाए थे कि उस बहादुर नौजवान के शहादत की खबर आ गई। इस खबर ने सभी को सिर्फ झकझोरा ही नहीं बल्कि अंदर तक तोड़ दिया। परिजनों को एकबारगी इस खबर पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है, लेकिन सच तो सच ही है। अब कर्नल मुनेंद्रनाथ राय भले ही लोगों के बीच नहीं हैं पर उनके वीरता की कहानियां तैर रही हैं इस फिजा में और आगे भी मुक्कमल रहेंगी।


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