पटरी पर लौट रहा मौसम, ठंड में आने लगी नरमी
गाजीपुर : आकाश में छाए बादल हटने लगे हैं। दो दिनों से जारी बारिश का सिलसिला भी थम गया है। मौसम की
गाजीपुर : आकाश में छाए बादल हटने लगे हैं। दो दिनों से जारी बारिश का सिलसिला भी थम गया है। मौसम की इस नरमी का असर आम जनजीवन पर बुधवार को साफ दिखा। बड़ों के साथ बच्चे भी सुबह जल्द बिस्तर छोड़ अपने काम में जुट गए। सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी तो सामान्य दिनों की तरह आए ही, लोग भी अपने काम के लिए पहुंचे। मौसम में आ रहे बदलाव से आमजन ही नहीं वरन पशु-पक्षियों ने भी राहत महसूस की।
सुबह नौ बजे तक आकाश में बादलों का आना-जाना बना हुआ था। इसके बाद मौसम साफ होने लगा। दोपहर बारह बजे के बाद धूप की हल्की किरणें भी निकलीं। इसका असर जनजीवन पर पड़ा। कार्यालयों, विद्यालयों व दुकानों पर भीड़भाड़ पूरे दिन बनी रही। ठंड में आई कमी के बाद भी गर्म कपड़ों को लोगों ने अलविदा नही किया है। कारण कि सुबह और शाम मौसम ठंड का एहसास करा रहा है। कमरों में बैठे लोग पूरी तरह ठंड से छुटकारा नहीं महसूस कर पा रहे हैं। ऐसे में वे अंगीठी या रूम हीटर का उपयोग कर रहे हैं।
राह चलना कठिन : बारिश के बाद सड़कों व गलियों में कीचड़ के चलते फिसलन बढ़ गई है। कहीं-कहीं खासकर गड्ढों में पानी लग गया है। ऐसे में राह चलना कठिन है। कीचड़ से राहगीरों के कपड़े खराब हो रहे हैं। दो या चार पहिया वाहनों के गुजरने के दौरान पैदल चलने वाले खुद को किनारे होने की जुगत में लग जाते हैं। दो पहिया वाहन चालकों का कीचड़ के कारण संतुलन बिगड़ भी जा रहा था। ऐसे में कई जगह लोग फिसल कर सड़क पर गिर भी पड़े। रौजा-जल निगम और फुल्लनपुर मार्ग पर चलना तो बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। कारण कि एक किमी लंबे इस रास्ते में अनगिनत गड्ढे पानी से लबालब हैं। बारिश के कारण कूड़ा का उठान भी बंद हो गया था। इसलिए जगह-जगह पसरा कचरा लोगों की राह रोक रहा था। हालांकि नगर पालिका प्रशासन का तर्क है कि पानी में भींगने के बाद कूड़ा उठाना मुश्किल होता है। ऐसे में सूखने के बाद ही कचरा उठाया जा सकता है।
किसान मायूस : बेमौसम हुई दो दिनों की बारिश से आलू की खेती किए किसानों को मायूसी हाथ लगी है। उनका कहना है कि यह बरसात आलू की पैदावार को बुरी तरह प्रभावित करेगा। हालांकि गेहूं की उपज के लिहाज से बारिश को फायदेमंद माना जा रहा है।
जमानियां : लगातार दो दिनों तक हुए बूंदाबांदी से सड़कों पर कीचड़ के साथ फिसलन बढ़ गया है। हालांकि ऐसे किसान जिन्होंने रबी फसलों की सिंचाई नहीं की थी उनके लिए बारिश लाभप्रद साबित हुई। किसान खेतों में यूरिया खाद का छिड़काव कर रहे हैं। समितियों पर खाद नदारद होने के कारण किसान बाजार से महंगे दाम में खाद खरीदने को विवश हैं।