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नहीं मिल रही बिजली, फूंकना पड़ता डीजल

गाजीपुर : जनपद में तमाम कोशिशों के बाद भी बिजली आपूर्ति में कोई सुधार नहीं हो रहा। रोस्टर के बावजूद

By Edited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 01:03 AM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 01:03 AM (IST)
नहीं मिल रही बिजली, फूंकना पड़ता डीजल

गाजीपुर : जनपद में तमाम कोशिशों के बाद भी बिजली आपूर्ति में कोई सुधार नहीं हो रहा। रोस्टर के बावजूद मनमानी कटौती जारी है। मजबूरी में व्यापारियों, बैंकर्स को हर रोज जेनरेटर के लिए लाखों रुपये का डीजल फूंकना पड़ता है। कारण कि शाम ढलने के साथ ही किसी न किसी इलाके की बत्ती गुल हो जाती है। इस दौरान बिजली आधारित उपकरण के उपयोग के लिए जेनरेटर चलाना विवशता हो गई है। इससे ध्वनि व वायु प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी जारी है।

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बिजली की किल्लत के चलते नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ व्यापार, उद्योग धंधे व लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। सुनवाई न होने पर उपभोक्ताओं ने जेनरेटर का सहारा लेना शुरू कर दिया। हालांकि यह काफी महंगा साबित होता है लेकिन इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। बैंकर्स भी इस बात से इत्तेफाक रखते है कि विद्युत कटौती होने से मजबूरी में जेनरेटर चलाना ही पड़ता है।

बढ़ी डीजल की खपत

नगर के पेट्रोल पंप संचालकों के अनुसार अंधाधुंध बिजली कटौती से प्रति दिन करीब दस हजार लीटर डीजल की खपत हो रही है। ऐसी स्थिति में किसानों को भी सिंचाई के लिए डीजल का ही सहारा लेना पड़ रहा है।

बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन

डीजल का अधिक इस्तेमाल वातावरण को प्रदूषित कर ग्लोबल वार्मिग को बढ़ा रहा है। इससे नाइट्रोजन-के-आक्साइड, सल्फर-के -आक्साइड आदि गैसें निकलती हैं जो सूर्य की इन्फ्रारेड किरणों को धरती पर आने से रोकती है। इसका असर पेड़, पौधों और मनुष्य पर पड़ता है। पौधों की भोजन बनाने की प्रक्रिया रूक जाती है। इनसे निकलने वाला आर्गेनिक कार्बन मनुष्य के फेफड़े को प्रभावित करता है।

- डा.प्रमोद कुमार, पर्यावरणविद, पीजी कालेज।

जेनरेटर का धुआं सेहत के लिए घातक

जेनरेटर के धुएं से कार्बन मोनो आक्साइड निकलता है। यह ब्लड में आक्सीजन की अपेक्षा छह गुना अधिक रफ्तार से घुल कर कार्बाक्सी हिमोग्लोबिन बनाता है। इससे सांस की दिक्कत, अस्थमा, लंग कैंसर आदि होने का खतरा बढ़ जाता है।

- डा.एके मिश्र, जिला चिकित्सालय।


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