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डीआइजी साहब, मैं जिंदा हूं

गाजीपुर : सैदपुर में तहसील दिवस में वाराणसी परिक्षेत्र के डीआइजी एसके भगत और मुख्य राजस्व अधिकारी मन

By Edited By: Published: Tue, 18 Nov 2014 07:41 PM (IST)Updated: Tue, 18 Nov 2014 07:41 PM (IST)
डीआइजी साहब, मैं जिंदा हूं

गाजीपुर : सैदपुर में तहसील दिवस में वाराणसी परिक्षेत्र के डीआइजी एसके भगत और मुख्य राजस्व अधिकारी मनमोहन चौधरी मंगलवार को उस समय अवाक रह गए जब एक व्यक्ति खुद को जिंदा बताते हुए पहुंच गया। पहले तो अफसर भी कुछ मामला समझ नहीं पाए। उसने आवेदन देते हुए बताया कि साहब मैं मुड़ियारी गांव का रामधनी हूं। कुछ साल पहले राजस्व से संबंधित अभिलेखों में मुझे मृत घोषित कर हक-हिस्सा मार लिया गया। उसकी बातों को गंभीरता से लेते हुए सीआरओ के निर्देश पर मुड़ियारी के लेखपाल देवचंद राम को तत्काल निलंबित कर दिया गया। साथ ही इस प्रकरण पर जांच बैठा दी गई। इसके अलावा जिले की पांच तहसीलों पर कुल 728 आवेदन आए। इनमें 46 का मौके पर ही निस्तारण किया गया। शेष को संबंधित विभागों को निस्तारण के लिए दिया गया। सैदपुर में 230 आवेदन पत्र प्रस्तुत हुए। इनमें 15 का निस्तारण किया गया।

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लोहिया गांव का भी लिया जायजा

सैदपुर तहसील दिवस के बाद अफसर लोहिया ग्राम कोटिशा पहुंचे। यहां उन्होंने विकास कार्यक्रमों की प्रगति की जानकारी ली। ग्रामीणों से समस्याएं सुनीं और निस्तारण का भरोसा दिया। सड़क, नाली, शौचालय आदि कार्यो का सत्यापन किया। डीआइजी, सीआरओ के अलावा एसपी डा.उमेशचंद्र श्रीवास्तव, उप जिलाधिकारी वीपी सिंह, तहसीलदार एके मिश्र, एआर सहकारिता आरआर विश्वकर्मा आदि मौजूद थे। जमानियां : उपजिलाधिकारी कैलाश सिंह की अध्यक्षता मे आयोजित तहसील दिवस में 57 प्रार्थना पत्र आए। इनमें पांच का निस्तारण हो गया। तहसीलदार वी यादव आदि मौजूद थे। जखनिया : एसडीएम सत्येंद्र प्रकाश की अध्यक्षता मे 96 आवेदन पत्रों में दो का मौके पर निस्तारण हुआ। तहसीलदार ओमप्रकाश जायसवाल आदि मौजूद थे। मुहम्मदाबाद : एसडीएम एसडी सिंह के समक्ष 176 आवेदन पत्र आए। इनमें 11 निस्तारित हुए। सदर तहसील में एसडीएम अरूण सिंह की अध्यक्षता में 169 आवेदन पत्र प्रस्तुत हुए जिनमें 13 का निस्तारण किया गया।

दूसरे विभाग को भेजा प्रार्थना पत्र

मुख्य राजस्व अधिकारी मनमोहन चौधरी ने मंगलवार को तहसील दिवस के आवेदनों के निस्तारण की समीक्षा की। इस दौरान पाया गया कि लघु सिंचाई विभाग को भेजे गए 20 मामले उससे संबंधित थे ही नहीं। ये मामले सिंचाई विभाग, नलकूप, खंड विकास अधिकारी स्तर केहैं। इसके चलते इन्हें निस्तारित करने में विलंब हुआ। उन्होंने कंप्यूटर में संशोधन दर्ज कर संबंधित विभाग को देने और त्वरित निस्तारण का निर्देश दिया।


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