अब चांद पर भी होगी बस्ती
गाजीपुर : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक कमलेश शर्मा ने बताया कि भारत दुनिया का
गाजीपुर : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक कमलेश शर्मा ने बताया कि भारत दुनिया का पहला देश है जिसने चांद पर पानी की खोज की। इसके प्रमाण मिलते ही इसरो ने चंद्रयान-2 का निर्माण कार्य जोरशोर से शुरू कर दिया। इसकी कामयाबी से चांद पर बस्ती बसाने की उम्मीदों को पर लगेंगे। इस उपग्रह में आर्बिटर, लैंडर एवं रोवर होंगे। आर्बिटर चंद्रमा का चक्रमण करेगा, लैंडर के चंद्रतल पर लैंड करने के बाद उसमें स्थित रोवर चांद की सतह पर घूमकर विभिन्न पहलुओं को परखने के बाद जरूरी सूचनाएं भेजेगा।
जनपद के रेवतीपुर निवासी कमलेश शर्मा दूरभाष पर जागरण से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीक रहा तो यह उपग्रह वर्ष 2018 तक उड़ान भरेगा। आबिर्टर एवं रोवर का निर्माण पूरा होने के करीब है जबकि लैंडर का निर्माण प्रगति पर है। हालांकि शुरुआत में लैंडर बनाने में रूस से मदद लेने पर विचार हो रहा था लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों की जी तोड़ मेहनत रंग लाई और कामयाबी मिली। चार सौ करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस उपग्रह का वजन 2650 किलोग्राम होगा।
आर्बिटर में पांच एवं रोवर में दो यंत्र लगे हैं जो चांद की सतह के तत्वों का वहीं पर निरीक्षण कर उसका डाटा अनुसंधान केंद्र को भेजेगा। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 की सफलता के लिए तीन टीमें क्रमश: अध्ययन, विश्लेषण व निर्माण कार्य में जुटी हुई हैं। हर टीम में तकरीबन सौ लोग कार्य कर रहे हैं। इस परीक्षण में कामयाबी के बाद भारत विश्व का चौथा देश होगा जो इस मिशन को पूरा करेगा।