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कुवाड़ी गांव की संगीता ने खींची नई लकीर

By Edited By: Published: Sun, 28 Sep 2014 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Sep 2014 01:00 AM (IST)
कुवाड़ी गांव की संगीता ने खींची नई लकीर

जितेंद्र यादव

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गाजीपुर : किसी ने क्या खूब लिखा है, 'एवरेस्ट पर ठेले जाते हैं बेटे, चढ़ जाती हैं बेटियां'। एक ऐसी ही बाला है मुहम्मदाबाद क्षेत्र स्थित कुवाड़ी गांव की संगीता यादव। वह संगीता, जिसने नेटबाल के माध्यम से खेल की दुनिया में अपनी उपस्थिति की नई लकीर खींच दी है। संगीता अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और अपने बेहतर खेल टेक्निक से पल भर में विपक्षी टीम को धूल चटा देती हैं। 2009 में भारत में टेस्ट मैच खेलने आई श्रीलंका की टीम को संगीता के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 3-1 से हरा कर सीरीज पर कब्जा जमाया था।

कुवाड़ी गांव निवासी मंगला यादव एवं उमरावती देवी की यह होनहार बेटी अपने पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर है। संगीता का जन्म 1992 में हुआ। कक्षा दो तक उन्होंने गांव में ही पढ़ाई की। उनका बचपन से ही खेल के प्रति लगाव था। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए मंगला यादव वाराणसी चले गए। यहां संगीता स्कूल में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में हमेशा अव्वल रहती थीं। खेल के प्रति काफी सजग वे सुबह ही जागकर प्रैक्टिस के लिए मैदान में पहुंच जाती हैं।

शाम को स्कूल से लौटने के बाद फिर खेल मैदान में नजर आती हैं और शाम ढलते ही पढ़ाई में जुट जाती हैं। इस समय संगीता बीएचयू से एमपीएड (मास्टर आफ फिजिकल एजुकेशन) कर रही हैं। अपनी प्रतिभा के बल पर संगीता ने यह साबित कर दिया कि परिवार, समाज एवं देश का नाम लड़कियां भी रोशन कर सकती हैं।

संगीता ने कहा..

- सरकार द्वारा नेटबाल को नया खेल समझकर ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है। हालात ये हैं कि कहीं-कहीं लोग पूछ देते हैं कि यह कौन सा खेल है। इससे नेटबाल के खिलाड़ियों को झेंपना पड़ता है। यहां पर केवल क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी या टेनिस आदि को ही अधिक महत्व दिया जाता है। सरकार को नेटबाल को भी बढ़ावा देना चाहिए। इससे कामनवेल्थ गेम सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हम लोग पदक जीत सकते हैं।

बोले कोच

- अपने जमाने के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी एवं संगीता के कोच लालचंद सिंह ने बताया कि बेशक कामनवेल्थ गेम्स के लिए चयनित टीम से संगीता यादव एवं करिश्मा यादव सबसे बेहतर खिलाड़ी थीं। पर उनकी कम लंबाई के कारण टीम में चयन नहीं किया गया। खेल संगठनों से मांग की गई है कि नेटबाल में लंबाई नहीं बल्कि प्रदर्शन देखकर खिलाडि़यों का चयन किया जाए।

मेडल व ट्राफी से सजा है घर

संगीता का घर मेडल एवं ट्राफी से भरा पड़ा है। उन्हें बेहतर प्रदर्शन एवं मेडल जीतने पर चार बार छात्रव़ृत्ति मिली है। इसमें एक लाख, 85 हजार, 70 हजार एवं 45 हजार रुपये की छात्रवृत्ति शामिल हैं। दो वर्ष पहले झारखंड में हुए 34वीं नेशनल गेम में संगीता को स्वर्ण पदक मिला था। इस पर राज्य सरकार की तरफ से गाजीपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने नेहरू स्टेडियम में प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये का चेक दिया था।

प्रमुख प्रतियोगिताएं जिनमें लिया हिस्सा

- 2005 में दिल्ली में आयोजित 11वीं सब जूनियर नेशनल टूर्नामेंट।

- 2005 में जयपुर में आयोजित फेडरेशन कप।

- 2006 में आयोजित 51वीं स्कूली नेशनल गेम।

- 2011 में झारखंड में आयोजित 34वीं नेशनल नेटबाल गेम।

- 2012 में मिनीस्ट्रियल आफ टूरिज्म इंटरनेशनल गेम, भारत बनाम श्रीलंका।

- इसके साथ चार सीनियर नेशनल, चार सब जूनियर नेशनल, चार जूनियर नेशनल, दो नेशनल एवं तीन स्कूली नेशनल एवं दो फेडरेशन कप गेम में हिस्सा ले चुकी हैं।


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