श्रीराम को केवट ने कराया नदी पार
गाजीपुर : अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी ओर से शुक्रवार की रात पहाड़ खां पोखरा के दक्षिण तरफ केवट
गाजीपुर : अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी ओर से शुक्रवार की रात पहाड़ खां पोखरा के दक्षिण तरफ केवट-भगवान राम संभाग का मंचन किया गया। लीला देख दर्शक भाव विभोर हो गए।
भगवान श्रीराम माता-पिता की आज्ञानुसार गुरु वशिष्ठ, लक्ष्मण, सीता व सुमंत के साथ वन के लिए प्रस्थान करते हैं। रात होने पर रास्ते में श्रृंगवेपुर में विश्राम करते हैं। भोर में समसा नदी में स्नान किए। गंगा पार ले जाने के लिए केवट को कहते हैं। केवट ने कहा कि महाराज आप अपना परिचय बताए। श्रीराम परिचय बताते हैं। केवट ने भगवान राम का पैर धोया। इसके बाद भगवान राम, लक्ष्मण व सीता को सुरसरी पर उताकर अपना जीवन सार्थक किया।
इस मौके पर सरदार दर्शन सिंह, बलवंत सिंह, दीनानाथ गुप्ता, हिमांशु जायसवाल, कृष्ण बिहारी त्रिवेदी, समरेंद्र सिंह, लव कुमार त्रिवेदी आदि उपथित थे।
ताड़का-सुबाहु वध की लीला का जीवंत मंचन
मुहम्मदाबाद : नगर में चल रहे रामलीला के दौरान रामजन्म से लेकर ताड़का सुबाहु बध की लीला का मंचन किया गया। चौथापन आने के बाद संतान न होने से राजा दशरथ काफी दुखी थे। वे पुत्र प्राप्ति को लेकर कुल गुरु वशिष्ठ से विचार विमर्श करते हैं। वशिष्ठ जी ने श्रृंगी ऋषि को बुलाकर अनुष्ठान करने की सलाह देते हैं। श्रृंगी ऋषि को बुलाकर यज्ञ कराया गया।
इसके बाद राजा दशरथ के घर चार पुत्रों ने जन्म लिया। खुशी की लहर दौड़ गई। रामजन्म होते ही चारो ओर जयकारा गूंजने लगा। गहमर : रामलीला कमेटी की ओर से राम चबूतरा पोखरा पर राम सुग्रीव मित्रता व सेवरी के आश्रम पर भगवान राम के पहुंचने का लीला मंचन किया गया। इस मौके पर मंत्री प्रतिनिधि मन्नू सिंह, हेराम सिंह, अजीत सिंह आदि उपस्थित थे। देवकली : रामलीला समिति देवकली की ओर से राम वनवास लीला का मंचन किया गया।
सैदपुर : रामलीला में नगर स्थित आर्य समाज स्थान पर भरत निषाद भेंट, चित्रकूट गमन, सीता स्वप्न व सीता प्रति लक्ष्मण विचार लीला का जीवंत मंचन किया गया। सीता प्रति लक्ष्मण विचार से भाभी व देवर के चरित्र को दर्शाया गया।
श्रीराम ने किया ताड़का का वध
शादियाबाद : रामलीला में ताड़का वध लीला का मंचन किया गया। ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के यहां जाते है और उनके दोनों श्रीराम व लक्ष्मण को यज्ञ की सुरक्षा के लिए वन ले जाने का आग्रह करते हैं। राजा कहते हैं कि बालक अभी किशोर है। यह सुनकर विश्वामित्र क्रोधित हो जाते है। ऋषि के श्राप के भय से राजा दोनों पुत्रों को भेज देते हैं। ऋषि का आदेश पाकर श्रीराम ताड़का का वध करते हैं।