संपत्ति संचयन के साथ बढ़ा नारी उत्पीड़न
गाजीपुर : रोडवेज स्थित निजी मैरिजहाल में अंतिम दिन रविवार को 'भारतीय नारीवाद' विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में नारी उत्पीड़न का मुद्दा छाया रहा। महिलाओं के शोषण एवं उनके अधिकारों पर चर्चा हुई। चार सत्रों में हुए इस कार्यक्रम में दूर-दराज से आए वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस दौरान रामकथा सुनाने के साथ डाक्यूमेंटरी फिल्म विवाह संस्कार प्रदर्शित की गई।
प्रो. विश्वनाथ मिश्र ने कहा कि नारीवाद की समस्या नैतिक और सामुदायिक दमन की समस्या है। डा. वाणीव्रत मोहंती ने लिंगभेद एवं राष्ट्रवाद के बारे में चर्चा की। कहा कि इस युग में भी नारी अपनी सुरक्षा के लिए पुरुषों पर निर्भर है। वहीं नारी आंदोलन का उद्देश्य पुरुषों के समान अधिकार, सम्मान एवं समाज में पहचान प्राप्त करना है। द्वितीय सत्र में महाराष्ट्र से आई नीलम उपाध्याय ने कहा कि समाज में धन कमाने की ललक में आज की नारी किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
वंदना त्रिपाठी ने कहा कि महिलाओं को ही हर मौकों पर समझौता करना पड़ता है। इस समाज को बिगाड़ कर ही नया समाज बनाया जा सकता है। नेपाल के पूर्व सांसद गोपाल ठाकुर ने कहा कि जब से संपत्ति संचयन की प्रवृत्ति समाज में आई है तभी से नारी उत्पीड़न की शुरुआत हुई है। डा. संजय चतुर्वेदी ने कहा कि नारी को अपनी समस्याओं के हल के लिए आगे आना होगा। डा. रामविलास शर्मा ने स्त्रियों को साहित्य एवं समाज में उपेक्षा को दूर कर उन्हें उनकी प्रतिभा को पहचान एवं सम्मान मिलना चाहिए।
पहले सत्र में डा. सुबच्चन पांडेय, प्रो. बद्री नारायण, एवं ब्रजेंद्र त्रिपाठी को प्रशस्ति पत्र एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में डा. श्रीकांत, डा. आरपी ओझा, डा. वशिष्ठ अनूप, डा. रामनयन तिवारी, डा. जितेंद्र नाथ राय, काजी फरीद आलम, डा. अजय सिंह, अनिल कुमार शर्मा, डा. मनोज राय आदि ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन संजीव गुप्त एवं हरीनारायण हरीश ने की।
नारी से जुड़े तमाम पक्षों को किया अभिव्यक्त
गाजीपुर : 'भारतीय नारीवाद' विषयक गोष्ठी स्थल पर मुहम्मदाबाद के डा. एमए अंसारी इंटर कालेज एवं एमजेआरपी पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों सहित अन्य कलाकारों ने कला प्रदर्शनी लगा कर लोगों का मन मोह लिया। छात्रों ने अपनी कल्पनाओं और रंगों के माध्यम से चित्रों को उकेरकर आयोजन में ऊर्जा प्रदान की।
कलाकारों ने अपने चित्रों के जरिये महिलाओं को अबला नहीं बल्कि सबला दिखाने की कोशिश की। मदर टेरेसा से लेकर मलाला तक के नए रूपों को विषय के रूप में अंकन किया। कला प्रदर्शनी में 90 चित्रों को प्रदर्शित किया गया था। इनके कलाकार सुधीर, राजीव, श्वेता, शालिनी, सपना, एजाज, जयश्री, आशीष, कृष्णा, बृजेश, अनिता, रवि, वरुण, फरहीन, मीरा, सुरभि, साधना, एकता, प्रिती, शिवनाथ, अनम, कसीम, राहुल, विवेक, लक्ष्मी, आनंद, चंदन, इंद्रजीत, अतुल आदि थे। कला प्रदर्शनी का संचालन डा. राजकुमार सिंह ने किया।