77 से 83 हो सकते हैं सादात ब्लाक के गांव
सादात (गाजीपुर) : त्रिस्तरीय पंचायत के लिए वर्ष 2015 में होने वाले चुनाव में स्थानीय ब्लाक के ग्राम पंचायतों की संख्या 77 से बढ़कर 83 होने की उम्मीद है। इसके लिए विभिन्न ग्राम पंचायतों के राजस्व मौजा को अलग करने के लिए ब्लाक व डीपीआरओ कार्यालय में आवेदन पड़ चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य संयुक्त रूप से राजस्व मौजों के गांवों के लोगों ने भी अलग-अलग ग्राम पंचायत बनाने के लिए आवेदन किया है।
ब्लाक के ग्राम नादेपुर के राजस्व गांव तिसड़ा, बहरियाबाद के राजस्व गांव चकफरीद, आसपुर हरतरा के राजस्व गांव मुबारकपुर हरतरा, मखदुमपुर के राजस्व गांव बसहीं, शिशुआपार के आतमपुर छपरा, हिराधरपुर के रामचरनपुर को अलग ग्राम पंचायत बनाने के लिए आवेदन पड़ गया है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी आबादी एक हजार से ज्यादा है।
इन गांवों को अलग ग्राम पंचायत बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसके अलावा स्थानीय ब्लाक के ग्राम खुटहीं के राजस्व गांव ससना व हरदिया को मिलाकर अलग ग्राम पंचायत बनाने की मांग की जा रही है। कांदर ग्राम पंचायत से विशुनपुर, चकफरीद को मिलाकर विशुनपुर ग्राम पंचायत बनाने की मांग है। टांड़ा गांव से बैरख व सिकंदरपुर मिलाकर अलग ग्राम पंचायत बनाने की मांग है।
डहरमौआ ग्राम पंचायत से मीरपुर व प्यारेपुर को मिलाकर नई ग्राम पंचायत बनाने की मांग शुरू हो गई। इस तरह सादात ब्लाक से बीते 15 सितंबर तक कुल 24 आवेदन अब तक पड़ चुके हैं। नई ग्राम पंचायतों के गठन को लेकर ग्रामीणों में उत्साह है लेकिन वर्तमान ग्राम प्रधान चाह रहे हैं कि उनका ग्राम टूटकर अलग न हो। इसे लेकर लोगों में ऊहापोह की स्थिति बनी है।
प्रभारी खंड विकास अधिकारी अवध बिहारी लाल ने बताया कि अलग ग्राम पंचायतों के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद ही कुछ बताया जा सकता है।
अलग ग्राम पंचायत बनने की जगी उम्मीद
जमानियां : ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होने से क्षेत्र के कम आबादी वाले गांवों के लोगों में ग्राम पंचायत बनने की उम्मीद बढ़ गई है। एडीओ (पंचायत) कार्यालय में दर्जन भर से अधिक गांव के लोगों ने ग्राम पंचायत गठित करने के लिए प्रस्ताव दिया है। वर्ष 1995 में एक हजार से कम आबादी वाले राजस्व गांवों को अधिक आबादी वाली ग्राम पंचायतों से संबद्ध कर दिया गया।
तब से छोटे गांव बड़े गांवों पर आश्रित हैं। अधिकांश ऐसे गांवों में विकास की गति थम गई है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक हजार व उससे अधिक की आबादी वाले राजस्व गांवों को ग्राम पंचायत बनाने का शासनादेश जारी किया तो ग्रामीणों के चेहरे खुशी से खिले उठे।