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संस्कारित करने वाला ही सच्चा आचार्य

By Edited By: Published: Sun, 14 Sep 2014 06:44 PM (IST)Updated: Sun, 14 Sep 2014 06:44 PM (IST)
संस्कारित करने वाला ही सच्चा आचार्य

गाजीपुर : सरस्वती शिशु मंदिरों के आचार्यो का तीन दिवसीय सम्मेलन रविवार को रायगंज स्थित विद्यालय में शुरू हुआ। जन शिक्षा समिति काशी प्रदेश के मंत्री अवध नरायन मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इसमें भारतीय संस्कार को सुदृढ़ करने वाले को ही सच्चा आचार्य बताया गया।

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मिश्र ने कहा कि वर्ष 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से राष्ट्र भक्ति व संस्कारयुक्त शिक्षा देने के लिए शिशु मंदिर खोले गए। इनमें शिक्षा देने वालों को आचार्य कहा जाता है। पूरी कोशिश होती है कि सरस्वती शिशु मंदिरों से शिक्षा ग्रहण कर ऐसे विद्यार्थी निकले जो नि:स्वार्थ भाव से समाज व देश की सेवा में तत्पर रहें।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल मकसद बालक के अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर लाना है। विद्या भारती योजना से पंचपदीय शिक्षा के माध्यम से बालकों का सर्वागीण विकास करना लक्ष्य है। इसके लिए शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अध्यक्षता कर रहे नगरपालिका अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने कहा कि कर्मठता, ईमानदारी व समर्पण के माध्यम से जनता का विश्वास जीता जा सकता है।

दूसरे से ईमानदारी व पारदर्शिता जैसे गुणों की अपेक्षा करने से पहले इसे अपने जीवन में उतारना जरुरी है। इस दौरान आरएसएस के सह विभाग प्रचारक श्याम, राजबहादुर दीक्षित, नीरज श्रीवास्तव, वीरेंद्र सिंह, प्रधानाचार्य रामउग्रह पांडेय, विद्यासागर उपाध्याय, रामबचन, अखिलेश आदि मौजूद थे।


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