किसानों को वर्गीय चेतना से होना पडे़गा लैस
गाजीपुर : जिला मुख्यालय स्थित सरजू पांडेय पार्क एक बार फिर किसानों, मेहनतकशों, मजलूमों की बदहाली पर विमर्श का केंद्र बना है। यह अवसर तैयार किया है अखिल भारतीय किसान सभा ने। इसकी ओर से सोमवार से शुरू तीन दिवसीय धरना-प्रदर्शन का आगाज किसानों के पिछड़ेपन तथा औद्योगिक घरानों की मजबूती के मुद्दे किया गया। वक्ताओं ने एक स्वर से कहा खुद के उत्थान के लिए किसानों को वर्गीय चेतना से लैस होना पड़ेगा। साथ ही उनकी समस्याओं पर गहन विमर्श की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए 67 वर्ष होने के बाद भी किसान समुदाय बर्बाद हो रहा है। विकास के दौर में कारपोरेट व औद्योगिक घरानों लगातार मुनाफे कमा रहे हैं। सवाल उठाया कि क्या यही सही विकास की नीति है। कृषि को सब्सिडी से मुक्त कराने की योजना पर काम चल रहा है। दूसरी ओर धनपतियों के लिए खजाने का मुंह खोलने का सिलसिला जारी है। सरकारों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से पूंजीपतियों का कब्जा है। ऐसी दशा में किसान, मजदूर कमेरी जनता को सत्तासीन होना पड़ेगा।
अध्यक्षता पूर्व विधायक जयराम सिंह, जितेंद्र घोष व बृजेंद्र राय ने संयुक्त रूप से किया। संचालन सुरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ चंचल सिंह ने किया।
सभा की प्रमुख मांगें
- साठ वर्ष से ऊपर के किसानों, दस्तकारों, बुनकरों व मजदूरों को तीन हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन।
- डा. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार किसानों के लागत मूल्य में पचास फीसद मुनाफा जोड़कर समर्थन मूल्य का निर्धारण।
- वर्ष 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के साथ छेड़छाड़ न किया जाए।
- जनपद को सूखाग्रस्त घोषित कर किसानों को दस हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की राहत राशि मिले।
- जिले की बंद चीनी व कताई मिल को फिर खोला जाए।
प्रमुख वक्ता : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. हरिकेश सिंह, पूर्व सांसद विश्वनाथ शास्त्री, दीनानाथ शास्त्री, किसान सभा के जिला अध्यक्ष पूर्व विधायक राजेंद्र यादव, डा. केएन सिंह, अमेरिका सिंह यादव, जनार्दन राम, कौशलेंद्र नारायण सिंह, प्रदीप सिंह, राजदेव यादव, रामकेर, सुरेंद्र राम, डा. राणा विजय राजभर, श्याम नारायण सिंह, सूर्यनाथ सिंह, अशोक मिश्र, हरेंद्र यादव, रवींद्र कुशवाहा आदि।