गर्मी में नहीं सूखेंगे हैंडपंप, जलस्तर होगा रिचार्ज
गाजीपुर : दिन पर दिन नीचे भाग रहे भूमिगत जलस्तर से गर्मी के दिनों में पानी छोड़ने वाले हैंडपंपों एवं पंपिंगसेटों को लघु सिंचाई विभाग संजीवनी देगा। भूमिगत जल को रिचार्ज करने के लिए विभाग ने विस्तृत खाका तैयार किया है। इसमें डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक खर्च अपने का अनुमान है। अपनी योजना को विभाग ने तीन चरणों में बांटा है। प्रथम चरण में पूरे जिले में 120 चैकडेम बनाएं जाएंगे। इसका प्रस्ताव जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेज दिया गया है।
गिरते जलस्तर से पेयजल के साथ सिंचाई की समस्या खड़ी हो गई है। लाखों रुपये खर्च कर लगाए गए पंपिंगसेट एवं हैंडपंपों के जवाब देने से लोग मुसीबत में फंस गए हैं। इससे निजात को शासन की आरआइडीएफ (रुरल इंफ्राटक्चर डवलपमेंट फंड) योजना के तहत लघु सिंचाई विभाग ने योजना तैयार की है। इसे अगले तीन सालों में अमल में लाना है। सरकार का इसमें मात्र पांच फीसद धन खर्च होगा। शेष रकम सरकार नाबार्ड से ऋण लेगी।
प्रथम चरण
प्रथम चरण में पूरे जिले में जगह-जगह चैकडेम बनाने की योजना है। इसमें बरसात का पानी आकर रुकेगा और सीधे भूमि के अंदर चला जाएगा। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 120 चैकडेम बनाने का प्रस्ताव पास हुआ। इसमें 83 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
दूसरा चरण
प्रथम चरण की समीक्षा के बाद जिले में जगह-जगह गहरी बोरिंग कराई जाएगी। बोरिंग ऐसे बड़े नालों के पास होगी जिससे बरसात का पानी बहता हो। बोरिंग होने से वह पानी नदियों में बहने की अपेक्षा सीधे धरती के अंदर चला जाएगा। हर बोरिंग में दो स्तर पर फिल्टर लगा होगा, ताकि बरसात का पानी साफ होने के बाद ही भूमि के अंदर जाए। पूरे जिले में ऐसी लगभग आठ हजार बोरिंग कराए जाने की योजना है। इसमें लगभग अस्सी लाख से एक करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।
तीसरा चरण
तीसरे चरण में प्रथम एवं द्वितीय चरण के कार्यो व परिणामों की समीक्षा होगी। विशेषज्ञों द्वारा पूरे क्षेत्र का भूमिगत जलस्तर नापा जाएगा। यह देखा जाएगा कि अब तक किए गए कार्यो से कितना भूमिगत जल स्तर बढ़ा है। अगर परिणाम बेहतर होंगे तो ठीक, नहीं तो और चैकडेम बनाने एवं बोरिंग कराने की आवश्यकता होगी तो किया जाएगा।
पानी बिन बंद नहीं होंगे हैंडपंप
इस योजना का जिस तरह से खाका तैयार किया गया है, अगर उस तरह कार्य पूरा हो जाए तो जिले में कभी पेयजल एवं सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं होगी। वर्षा का जल बर्बाद होने की जगह सीधे धरती के भीतर चला जाएगा।
- आरके सिंह, जेई लघु सिंचाई विभाग।