दो हमलावर गिरफ्तार, हड़ताल स्थगित
गाजीपुर : लेखपाल के दो हमलावरों की गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को राज्य कर्मियों का कार्य बहिष्कार एवं हड़ताल स्थगित हो गई। पकड़े गए दोनों आरोपियों को पुलिस अधीक्षक ने मीडिया के सामने पेश किया। इसी मौके पर कर्मचारी नेताओं एवं पुलिस अधीक्षक से हुए वार्ता में हड़ताल स्थगित करने की घोषणा की गई। शर्त यह रही कि फरार चल रहे तीसरे आरोपी को भी शीघ्र गिरफ्तार किया जाए एवं हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई न हो।
आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर पहले कर्मचारी संगठनों ने धरना शुरू किया, फिर बात न बनने पर कार्य बहिष्कार कर हड़ताल कर दिया। इससे सभी विभागों का कार्य ठप हो गया। इससे जहां विकास कार्य रुक गए वहीं आम लोगों की भी मुसीबतें बढ़ गई। इससे जिला प्रशासन पर आरोपियों को गिरफ्तार करने का दबाव बढ़ने लगा। पुलिस ने गुरुवार को सुबह साढ़े सात बजे महराजगंज पेट्रोल पंप के पास से दो आरोपियों पप्पू एवं छोटू निवासी मिरदादपुर को गिरफ्तार कर लिया।
वहीं तीसरा व मुख्य आरोपी मोती बिंद अभी भी फरार है। अधिकारियों से वार्ता करने के बाद कर्मचारी नेता डीएन सिंह एवं सुरेंद्र सिंह ने जिलाधिकारी को भी इस संबंध में पत्रक सौंपा। चेतावनी दी कि अगर तीसरे आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी नहीं की जाती है और कर्मचारियों का किसी प्रकार का उत्पीड़न किया जाता है तो संगठन फिर से आंदोलन शुरू कर देगा। वार्ता में मौके पर एडीएम मुरलीधर मिश्रा, अपर पुलिस अधीक्षक हफीजुर रहमान एवं सीओ सिटी कमल किशोर भी मौजूद थे।
रिश्तेदार के यहां लिया था शरण
पुलिस के द्वारा मीडिया के सामने पेश किए गए दोनों आरोपियों ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के बाद लेखपाल आलम पट्टी के पास बाइक रोककर मोबाइल से बात कर रहे थे। इसी दौरान मौका देखकर लोहे की पाइप व पटरा से उनपर उन्होंने हमला कर दिया। घटना को अंजाम देने के बाद वे अपने एक रिश्तेदार के घर जा कर छिप गए।
क्या था मामला
कोतवाली क्षेत्र के मिरदादपुर गांव में स्थित एक नाले की जमीन पर लगभग दस वर्ष पहले कुछ लोगों ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे अतिक्रमण बढ़ता गया और उस पर पक्का मकान आदि बना लिए गए। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से की। आज से तीन वर्ष पहले भी प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया लेकिन मौके पर पहुंचे अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ आरोपी उग्र हो गए।
ऐसे में प्रशासन को उल्टे पांव लौटना पड़ा। मामला न्यायालय में चला गया। घटना से दो दिन पहले उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद 18 अगस्त को सदर एसडीएम, तहसीलदार एवं क्षेत्रीय लेखपाल नोनहरा पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और जेसीबी से मकान को गिराए जाने लगा। ग्रामीणों के विरोध करने पर आसपास के थानों से और फोर्स मंगा ली गई।
अतिक्रमण हटाने के बाद प्रशासन लौट गया और लेखपाल द्वारिका प्रसाद दुबे भी अपने घर लौट रहे थे। इसी दौरान आलमपट्टी के पास उनपर हमला कर दिया गया।