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प्रेमचंद की रचनाओं में गरीबों का दर्द

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 06:45 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 06:45 PM (IST)
प्रेमचंद की रचनाओं में गरीबों का दर्द

गाजीपुर : अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की ओर से कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर गुरुवार को सरयू पांडेय पार्क में गोष्ठी हुई। उनके आदर्शो से प्रेरणा लेकर बुराइयों के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया गया।

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मुख्य वक्ता सपा के जिलाध्यक्ष राजेश कुशवाहा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम मानते थे। साहित्यक को उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों व बुराईयों के खिलाफ लड़ने के लिए कारगर औजार बनाया। उनकी रचनाओं में गरीब, शोषित व्यक्ति की वेदना व संवेदना समाहित है। वर्तमान में पूंजीवादी व्यवस्था हमारी सभ्यता, संस्कृति तथा मुल्क की आजादी के लिए खतरा बनी गई है। ऐसे दौर में मुंशी प्रेमचंद का बरबस स्मरण हो उठता है। जेहन में यह बात आती है कि यदि आज वह रहते तो अपनी लेखनी से बुराईयों के खिलाफ जनजागरण कर सही रास्ता दिखाते। महासभा के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव ने मुंशी प्रेमचंद को राष्ट्रीय आंदोलन का प्रमुख नेता बताया। कहा कि जमीदारों, पूंजीपतियों और सूदखोरों को अपनी लेखनी के निशाने पर लेकर उन पर जमकर प्रहार किया है। गोष्ठी में राजेंद्र आस्थाना, परमानंद श्रीवास्तव, बालेश्वर नाथ वर्मा सदानंद यादव, बजरंगी राय, जितेंद्र घोष, जवाहर यादव, विजय शंकर यादव आदि शामिल थे। संचालन जिला महामंत्री देवेंद्र श्रीवास्तव ने किया।


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