2.07 अरब से होगा जिले का कायाकल्प
गाजीपुर : जनपद का कायाकल्प करने के लिए जिला पंचायत सभागार में शनिवार को आयोजित जिला योजना की बैठक में दो अरब छह करोड़ 93 लाख रुपये का प्रस्ताव पास हुआ। इससे 45 विभाग अपनी-अपनी विकास योजनाएं संचालित करेंगे। इस दौरान सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पेयजल को लेकर सदन में खूब हंगामा हुआ। पीडब्ल्यूडी एवं जल निगम के प्रस्ताव पर अनुमोदन करने से सदस्यों ने इंकार कर दिया। कहा कि सदन की बैठक में उनका अनुमोदन नहीं हुआ है। प्रभारी मंत्री के समझाने पर किसी तरह मामला शांत हुआ।
बेसिक शिक्षामंत्री एवं जिले प्रभारी मंत्री राम गोविंद चौधरी की मौजूदगी में सदन के सामने पीडब्ल्यूडी का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए प्रस्तुत हुआ तो वरिष्ठ जिला पंचायत सदस्य राधेश्याम यादव सहित अन्य सदस्यों ने इसका जोरदार विरोध किया और सदन में हंगामा करने लगे। उनका कहना था कि पीडब्ल्यूडी के प्रस्ताव को सदन की बैठक में पास नहीं किया गया है, उसका अनुमोदन नहीं किया जाएगा। कहा कि हम लोगों के प्रस्ताव को उसमें शामिल नहीं किया जाता है। इस पर प्रभारी मंत्री एवं पंचायती राज मंत्री ने कहा कि हम लोगों से पहले जिला पंचायत सदस्यों के प्रस्ताव पर ही सड़कें बनाई जाएंगी।
वहीं जलनिगम को लेकर भी सदस्यों ने खूब हंगामा किया। मांग किया कि हम लोगों को एक भी हैंडपंप नहीं मिले हैं जबकि विधायकों को सौ-सौ हैंडपंप दिया गया है। कार्यवाही को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया लेकिन हैंडपंप को लेकर सदस्य अड़ गए। फिर पंचायती राज मंत्री ने कहा कि अगर जल निगम में हैंडपंप आयेगा तो उन्हें दिया जाएगा। जल निगम द्वारा हैंडपंप के मामले मे किए जा रहे फर्जीवाड़े की शिकायत पर प्रभारी मंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे एक कमेटी बनाकर इसकी हैंडपंपों एवं सोलर लाइट की जांच कराएं। कमेटी में उस क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। बैठक में धर्मार्थ कार्य मंत्री विजय मिश्र, विधायक सुभाष पासी, एमएलसी विजय यादव, शिक्षक विधायक चेतनारायण सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष पंचरत्न देवी सहित अन्य जन प्रतिनिधि मौजूद रहे।
सरिता बनी महिलाओं की आवाज
- आमतौर पर सदन में मूकदर्शक बनकर रहने वाली महिला प्रतिनिधियों की तरफ से सरिता गुप्ता ने आवाज बुलंद की। कहा कि मैं महुआबाग वार्ड नंबर 11 की सभासद हूं। बीएसए कार्यालय के बगल में ही स्थित प्राथमिक विद्यालय की दशा दयनीय है। वहां गंदगी का अंबार लगा है और बरसात में पूरा परिसर पानी से भर जाता है। भवन जर्जर हो गया है और अच्छे शिक्षकों का भी अभाव है। अगर हम सर्व शिक्षा अभियान को सफल बनाना चाहते हैं तो विद्यालयों की स्थिति में सुधार लाना होगा, तभी अभिभावक अपने बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में भेजेंगे। सरिता ने पहाड़ खां पोखरे का भी मुद्दा उठाया।
15 दिन में गड्ढा मुक्त हों सड़कें
जब बात सड़कों की चली तो सदस्यों ने शिकायतों का पिटारा खोल दिया। जनपद भर की जर्जर एवं आधा-अधूरे सड़कों को गिनाया जाने लगा। ब्रजभूषण दूबे ने भी सड़कों की दुर्दशा बयां की। पीडब्ल्यूडी ने कहा कि शीघ्र ही अधूरी सड़कें पूरी कर ली जाएंगी। इस पर पंचायती राज मंत्री ने कहा कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारी झूठ बोल रहे हैं, वे इतना जल्दी कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे दो दिन के अंदर पीडब्ल्यूडी की बैठक बुलाएं और उसमें चर्चा कर 15 दिन के अंदर सभी सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त किया जाए। अगर इसमें लापरवाही होती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वहीं सैदपुर क्षेत्र की एक 21 किलोमीटर सड़क को खोद कर छोड़ दिए जाने पर प्रभारी मंत्री ने पूरे मामले की विजलेंस से जांच कराने को कहा।
अपने ही विभाग पर घिरे प्रभारी मंत्री
- जिला प्रभारी एवं बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी अपने ही विभाग की दुर्दशा को लेकर घिर गए। परिषदीय विद्यालयों के भवन निर्माण, एमडीएम एवं शिक्षकों की कमी एवं पठन-पाठन की गुणवत्ता को लेकर खूब सवाल उठे। सदस्यों ने कहा कि विद्यालयों के भवन मानक के अनुसार नहीं बन रहे हैं। एक साल के भीतर ही वे जर्जर हो जा रहे हैं। सदस्य राधेश्याम यादव ने कहा कि विभाग विद्यालय भवन बनाने के लिए करोड़ों रुपये आवंटित करता है लेकिन एक भी टेक्निकल कर्मचारी नहीं है जो भवन की गुणवत्ता को परख सके। मंत्री ने कहा कि इसके लिए हम सभी को प्रयास करना होगा। सभी जन प्रतिनिधि अपने बच्चों को पब्लिक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। उन्हें परिषदीय विद्यालय में ही भेजना चाहिए। इस पर कासिमाबाद प्रथम के जिला पंचायत सदस्य उमेश कनौजिया ने बेसिक शिक्षा मंत्री से सवाल कर दिया कि क्या आप के नाती परिषदीय विद्यालय में पढ़ते हैं तो इस पर वे बिफर गए। कहा कि हां मेरे नाती परिषदीय विद्यालय में ही पढ़ते हैं।
दवा न डाक्टर
- बात जब स्वास्थ्य विभाग की आई तो सीएमओ डा. बीएन गुप्ता ने कहा सभी अस्पतालों पर दवा उपलब्ध है लेकिन डाक्टरों की भारी कमी है। उनकी बात को सदस्यों ने झुठला दिया। कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के किसी भी अस्पताल पर दवा उपलब्ध नहीं है। जो डाक्टर तैनात हैं वो भी विभाग की मिली भगत से अपना नर्सिग होम चलाते हैं।